नयी दिल्ली, नौ दिसंबर सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सदस्यों ने कांग्रेस तथा उसके नेताओं पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कथित कोशिश के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करते हुए सोमवार को राज्यसभा में जोरदार हंगामा किया, जिसके कारण उच्च सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
पहली बार के स्थगन के बाद जब उच्च सदन की कार्यवाही दोबारा शुरु हुई तो नेता सदन जे पी नड्डा ने कहा कि खबरें आई हैं कि एक राजनीतिक दल के संबंध देश विरोधी ताकतों के साथ हैं और इस पर हमारे सदस्य उद्वेलित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस पर चर्चा चाहते हैं।’’
इसके बाद सभापति ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल का नाम पुकारा।
अग्रवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग किस प्रकार से बहुराष्ट्रीय कंपनियों और अमेरिकी उद्योगपति जॉर्ज सोरोस की मदद से अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के एजेंट बनकर इस देश में विखंडन पैदा करना चाहते हैं।
अग्रवाल जब अपनी बात रख थे तब राजग के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर हंगामा और शोरगुल कर रहे थे।
हंगामे के बीच ही सभापति जगदीप धनखड़ की अनुमति से भाजपा के कुछ सदस्यों ने इस मुद्दे को उठाया और सदन में तत्काल चर्चा कराने की मांग की।
जनता दल (यूनाईटेड) के संजय झा ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट आई है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का जॉर्ज सोरोस से संबंध है।
उन्होंने कहा कि सदन में इस मुद्दे पर जरूर चर्चा होनी चाहिए।
झा ने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसमें भी सोरोस की भूमिका है।
उन्होंने कहा, ‘‘सोरोस ने आधिकारिक रूप से कहा है कि नरेन्द्र मोदी को हटाने के लिए उन्होंने दस लाख डॉलर रखे हुए हैं।’’
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सत्ताधारी दल के सदस्यों की ओर से हंगामा किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि किसी सदस्य पर आरोप लगाना उचित नहीं है, खासकर तब जबकि वह सदन में उपस्थित ना हो।
भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से किसी भी सदस्य का नाम नहीं लिया गया है और नेता प्रतिपक्ष की टिप्पणी से पता चलता है कि उन्होंने स्वत: स्वीकार किया है कि ‘वह’ सदन में अनुपस्थित सदस्यों में से ही कोई है।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने कहा कि उन्हें भाजपा के सदस्यों ने सुबह ही कह दिया था कि आज सदन में जाने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि वह सदन को नहीं चलने देंगे।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए सत्ताधारी दल के सदस्यों की ओर से जानबूझकर हंगामा किया जा रहा है।
कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने आसन से सवाल किया कि सत्ताधारी दल के सदस्यों को किस नियम के तहत बोलने की इजाजत दी रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ये अपनी सारी बातें रख रहे हैं। इनके माइक भी खुले रहते हैं। इनके फोटो भी दिखाए जा (राज्यसभा टीवी पर) रहे हैं। यह बिल्कुल गलत है। शोरगुल और हल्ला नहीं दिखाया जाता है लेकिन इनका दिखाया जा रहा है।’’
माकपा के जॉन ब्रिटास ने मांग की कि जॉर्ज सोरोस के साथ ही अदाणी मुद्दे पर भी सदन में चर्चा होनी चाहिए।
भाकपा के पी संदोष ने कहा कि अदाणी को बचाने के लिए सत्ता पक्ष के सदस्यों की ओर से जानबूझकर हंगामा किया जा रहा है।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने कहा कि सरकार अदाणी को बचाना चाहती है, इसलिए यह सब किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘अदाणी की चोरी को बचाने के लिए यह सब किया जा रहा है।’’
कांग्रेस के ही दिग्विजय सिंह ने सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि किस नियम के तहत उन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा शुरु की है।
हंगामा न थमता देख, सभापति ने 12 बज कर 15 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, सुबह सदन में सूचीबद्ध सभी कार्यों को नियम 267 के तहत स्थगित कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग संबंधी नोटिस खारिज किए जाने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह सदन की बैठक आरंभ होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस की सदस्य सोनिया गांधी को जन्मदिन की बधाई दी। इसके बाद उन्होंने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
सभापति ने बताया कि उन्हें नियम 267 के तहत 11 नोटिस मिले हैं। उनके मुताबिक, कुछ सदस्यों ने मणिपुर और संभल में हिंसा के मुद्दे पर नोटिस दिए थे तो कुछ ने किसानों की स्थिति पर।
सत्ता पक्ष के सदस्यों ने देश की सुरक्षा और विदेशी संगठनों से कुछ नेताओं के कथित संबंध से जुड़े मुद्दे पर नोटिस दिए थे।
धनखड़ ने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए।
इसके बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया वहीं विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर सदन ना चलने देने का आरोप लगाया।
इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से विभिन्न मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए।
भाजपा के लक्ष्मीकांत बाजपेयी को शून्यकाल में बोलने का मौका दिया गया और उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बोलना आरंभ किया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने उनकी टिप्पणी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जब सभापति ने नियम 267 के तहत नोटिस खारिज कर दिए हैं तो उसमें उल्लिखित मुद्दों को उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत गलत हो रहा है। आप सभापति हैं। आप सदन के रक्षक हैं। कृपया आप पक्षकार मत बनिए।’’
इस दौरान, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने सदन चलने देने का आग्रह करते हुए कि पिछले दिनों नेता सदन ने प्रस्ताव दिया था कि किसी भी सूरत में शून्यकाल और प्रश्नकाल बाधित बाधित नहीं होना चाहिए और इस पर सभी ने सहमति भी जताई।
उन्होंने हंगामा कर रहे सत्ता पक्ष के सदस्यों से इस प्रस्ताव की अवहेलना करने का आरोप लगाया।
इस पर सभापति ने कहा कि उन्हें यह बात उस समय क्यों नहीं याद आई जब उनकी नजरों के सामने सत्र के पहले सप्ताह हंगामा होता रहा और कोई कार्यवाही नहीं हो सकी।
संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि अक्सर हंगामा करने और आसन के सामने आ जाने वाले संजय सिंह की ओर से ऐसी बातें शोभा नहीं देती।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने भी नोटिस खारिज किए जाने के बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों को बोलने देने का अवसर देने पर सवाल उठाया। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बहस हो गई, जिसके कारण सभापति को 11 बज कर 42 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
ब्रजेन्द्र
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