उडुपी (कर्नाटक), दो दिसंबर श्री पेजावर मठ के महंत श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी ने स्पष्ट किया है कि भारतीय संविधान पर उनकी टिप्पणी को मीडिया में ‘‘गलत तरीके से पेश’’ किया गया।
स्वामीजी ने कहा कि उन्होंने कभी संविधान में बदलाव की मांग नहीं की और इसके सिद्धांतों के प्रति अपना सम्मान दोहराया।
स्वामीजी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के न्यासी हैं।
स्वामीजी ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में ‘‘गलत सूचना’’ पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की टिप्पणियों ने अनावश्यक भ्रम पैदा किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं संविधान का सम्मान करता हूं और इसकी भावना के खिलाफ किसी भी पहल का कभी समर्थन नहीं किया है।’’
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की कर्नाटक इकाई द्वारा 23 नवंबर को बेंगलुरु में आयोजित संत सम्मेलन में स्वामीजी के संबोधन के बाद विवाद उत्पन्न हो गया, जहां उन्होंने कथित तौर पर एक ऐसे संविधान की मांग की जो बहुसंख्यकों के हितों का सम्मान करता हो।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए इसे संवैधानिक बदलाव की मांग बताया। स्वामीजी ने स्पष्ट किया कि सम्मेलन के बाद कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत को सौंपे गए ज्ञापन में संविधान में किसी भी तरह के बदलाव का जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने मीडिया से बयानों का सत्यापन करने और गलत सूचना फैलाने से बचने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री की आलोचना करते हुए स्वामीजी ने कहा, ‘‘सिद्धरमैया को बतौर मुख्यमंत्री सोच समझकर बयान देना चाहिए था। मैंने केवल यह मांग की थी कि सरकार समावेशी हो और सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करे। अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण बंद होना चाहिए।’’
स्वामीजी ने यह भी आरोप लगाया कि हिंदू मुद्दों का समर्थन करने के लिए कुछ समूह उन्हें निशाना बना रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर दिया ‘‘कोई भी हिंदुओं की आवाज को दबा नहीं सकता।’’
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