Mumbai: राहुल गांधी अब सांसद नहीं, इसलिए वह ठाणे में मानहानि मामले में पेश हो सकते हैं: शिकायतकर्ता
Rahul Gandhi (Credit: PTI)

ठाणे (महाराष्ट्र), 31 मार्च: राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि की आपराधिशिक कायत दर्ज कराने वाले आरएसएस के एक कार्यकर्ता ने यहां की एक अदालत से कहा कि गुजरात में इसी तरह के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस नेता अब सांसद नहीं हैं, इसलिए वह ठाणे में मानहानि मामले में पेश हो सकते हैं. कार्यकर्ता ने व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट का आग्रह करने वाले गांधी के आवेदन का विरोध किया. यह भी पढ़ें: Mumbai: मुंबई में रामनवमी जुलूस के दौरान दो समूहों में झड़प मामले में 21 लोगों को हिरासत में लिया गया

शिकायतकर्ता राजेश कुंटे ने गांधी के भाषण को देखने के बाद 2014 में भिवंडी मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष एक निजी शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप है कि गांधी ने अ पने भाषण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को महात्मा गांधी की हत्या का जिम्मेदार बताया था. कुंटे ने दावा किया कि इस बयान से आरएसएस की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है.

गांधी जून 2018 में अदालत के सामने पेश हुए थे और उन्होंने आरोप को स्वीकार नहीं किया था.

पिछले साल, उन्होंने इस आधार पर अदालत में पेश होने से स्थायी छूट की मांग करते हुए आवेदन दायर किया था कि वह सांसद हैं, जिन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करना पड़ता है, पार्टी के काम में शामिल होना पड़ता है और अक्सर यात्रा करनी पड़ती है. दो दिन पहले, कुंटे ने गांधी के आवेदन का विरोध करते हुए अदालत में एक लिखित नोट दिया, जिसमें कहा गया कि मानहानि के मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा गांधी को दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता को अयोग्य घोषित कर दिया गया है.

कुंटे ने कहा कि चूंकि गांधी अब सांसद नहीं हैं, इसलिए व्यक्तिगत पेशी से स्थायी छूट की मांग करने वाला उनका आवेदन अनावश्यक है. उन्होंने कहा कि जिस अपराध के तहत गांधी को दोषी ठहराया गया है और दोसाल की जेल की सजा सुनाई गई है, वह वर्तमान मामले के समान ही था

गांधी के अधिवक्ता नारायण अय्यर ने कहा कि अदालत ने इस पर संज्ञान लिया और स्थायी छूट के आग्रह वाले गांधी के आवेदन पर आदेश के लिए मामले को एक अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया.

सूरत की अदालत ने 23 मार्च को गांधी को 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी. अदालत ने उन्हें जमानत भी दे दी थी और 30 दिन के लिए सजा को निलंबित कर दिया था, ताकि वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकें. सजा सुनाए जाने के अगले दिन, उन्हें लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

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