नयी दिल्ली, 28 दिसंबर: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सरकार छह दशकों की सबसे बड़ी क्षेत्रीय नाकामयाबी को छिपाने का प्रयास कर रही है और चीनी सैनिक मई 2020 से डेपसांग के मैदानी इलाकों, डेमचोक और पूर्वी लद्दाख के अन्य इलाकों में भारतीय गश्ती दलों को गश्त करने नहीं दे रहे हैं. रमेश ने लद्दाख के नेता कोंचोक स्टेनजिन के एक पोस्ट का हवाला देते हुए 'एक्स' पर दावा किया कि लद्दाख में 1962 के चीन-भारत युद्ध के ऐतिहासिक युद्ध स्थल रेजांग ला पर एक स्मारक को चीन के साथ सैनिकों की वापसी के समझौते के तहत सेना ने ध्वस्त कर दिया था.
स्टेनजिन, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद में चुशुल के पार्षद हैं. रमेश ने 'एक्स' पर कहा, ''चुशुल से पार्षद कोंचोक स्टेनजिन ने यहां खुलासा किया है कि जिस जगह मेजर सिंह शहीद हुए थे, उस जगह पर एक स्मारक का निर्माण किया गया था, जिसे गिरा दिया गया क्योंकि वह 2021 में चीन के साथ हुए समझौते के तहत 'बफर जोन' में आता था. यह मेजर सिंह और चार्ली कंपनी के शहीद नायकों का घोर अपमान है.''
कांग्रेस नेता ने कहा कि रेजांग ला की रक्षा का जिम्मा 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी के हाथों में था, जिसका नेतृत्व मेजर शैतान सिंह कर रहे थे और यह भारतीय युद्ध इतिहास की महान गाथाओं में से एक है. कांग्रेस महासचिव ने कहा, ''चार वर्षों से मोदी सरकार अपनी डीडीएलजे नीति 'नकारो, ध्यान भटकाओ, झूठ बोलो और सही ठहराओ' के साथ भारत के लिए पिछले छह दशकों की सबसे बड़ी नाकामयाबी को छिपाने का प्रयास कर रही है.
मई 2020 से चीनी सैनिक डेपसांग मैदान, डेमचोक और पूर्वी लद्दाख के अन्य इलाकों में भारतीय गश्ती दलों को गश्त करने नहीं दे रहे हैं.'' रमेश ने 2017 में डोकलाम में कथित भारतीय जीत को भी सिरे से खारिज कर दिया और भूटानी जमीन पर चीन के बढ़ते अतिक्रमण का हवाला दिया. रमेश ने कहा, ''2017 में डोकलाम में भारतीय जीत के खोखले दावों के बावजूद चीन ने पिछले छह वर्षों में भूटानी क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाया है, जो भारत के सिलीगुड़ी गलियारे के लिए एक खतरा बनता जा रहा है.''
उन्होंने कहा, ''चीन समझता है कि अगर प्रधानमंत्री को उनकी सफलताओं का गुणगान करने की छूट दी जाती रहेगी तो वह चीन के जाल में फंसते रहेंगे और देश से झूठ बोलते रहेंगे कि 'ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, ना ही कोई घुसा हुआ है.'' रमेश ने कहा, ''अब वक्त आ गया है कि भारत के लोगों को सच बताया जाए और पूछा जाए कि कैसे और कब लद्दाख में यथास्थिति बहाल की जाएगी.''
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