मास्क जीवन का हिस्सा बन जाएगा, कोविड-19 से निपटने के साथ अर्थव्यवस्था भी महत्वपूर्ण :मोदी
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नयी दिल्ली, 27 अप्रैल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 से निपटने के साथ ही अर्थव्यवस्था को भी महत्व देना होगा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से तीन मई को लॉकडाउन के दो चरण समाप्त होने के बाद आगे की योजना बनाने को कहा तथा यह भी आगाह किया कि खतरा जल्द टलने वाला नहीं है। उधर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पिछले 24 घंटे में देश में कोविड-19 के 60 रोगियों की मौत हो गयी।

हालांकि, अधिकारियों की इस घोषणा से थोड़ी राहत मिली है कि भारत के 85 जिलों में पिछले दो सप्ताह में कोरोना वायरस का एक भी संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है और पूर्वोत्तर के पांच राज्य वायरस के प्रकोप से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं।

इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देशभर में संक्रमण के कुल मामले 28,380 हो गए हैं, वहीं अब तक कम से कम 886 लोगों की मौत हो गयी। 6,300 रोगियों को अस्पतालों से छुट्टी मिलने के बाद संक्रमण से मरीजों के उबरने की दर 22 प्रतिशत से अधिक हो गयी है।

घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चेतावनी दी है कि ‘अनर्थकारी’ लॉकडाउन से 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। एजेंसी ने मौजूदा वित्तवर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर करीब आधी होकर 1.8 होने का अनुमान लगाया है।

क्रिसिल ने कहा, ‘‘लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर खतरनाक असर पड़ रहा है और इससे राहत पैकेजों के बावजूद जीडीपी, बेरोजगारी और गरीबी का स्थायी नुकसान हो सकता है।’’

सकारात्मक पक्ष यह रहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 14 दिन में 85 जिलों में संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अलग से कहा कि पूर्वोत्तर के पांच राज्यों - सिक्किम, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा अब पूरी तरह से कोरोना वायरस से मुक्त हैं। इसके अलावा तीन अन्य राज्य- असम, मेघालय और मिजोरम में पिछले कुछ दिन से कोविड-19 का कोई नया मामला नहीं आया है।

राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े बताते हैं कि कुछ महानगर देश के अन्य कई हिस्सों की तुलना में इस घातक वायरस के प्रकोप को ज्यादा झेल रहे हैं और इनमें से केवल तीन शहरों-मुंबई, दिल्ली और अहमदाबाद में देश के कुल मामलों के एक तिहाई हैं। देशभर में कोविड-19 से मौत के करीब 40 प्रतिशत मामले अकेले इन तीन महानगरों में हैं।

कम से कम ‘रेड जोन’ या ‘हॉटस्पॉट’ माने गए इलाकों में लॉकडाउन बढ़ने की संभावना के बीच इस तरह की भी अटकलें जोर पकड़ रही हैं कि अति प्रभावित क्षेत्रों के बाहर निजी वाहनों तथा आर्थिक गतिविधियों समेत कुछ छूट दी जा सकती हैं। हालांकि, अधिकतर लोगों की राय है कि सार्वजनिक परिवहन के साधन, स्कूल-कॉलेज तथा धार्मिक कार्यक्रम समेत सार्वजनिक समारोहों पर रोक जारी रहनी चाहिए।

लॉकडाउन के दूसरे चरण के अंतिम सप्ताह में प्रवेश करते हुए मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना के खिलाफ देशव्यापी अभियान को जारी रखने के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने पर भी समान रूप से ध्यान देने को जरूरी बताया।

मुख्यमंत्रियों के साथ इस महामारी पर चौथी वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक में मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि राष्ट्रव्यापी बंद के सकारात्मक परिणाम मिले हैं तथा देश पिछले डेढ़ महीने में हजारों जानें बचा चुका है।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने अब तक दो लॉकडाउन देखे हैं, विभिन्न पहलुओं में दोनों ही अलग है और अब हमें आगे के बारे में सोचना है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले महीनों में कोरोना वायरस का असर दिखता रहेगा।’’

उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में मास्क और चेहरा ढंकने वाले गमछे लोगों के जीवन का हिस्सा बन जाएंगे। उन्होंने यथासंभव प्रौद्योगिकी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दिया और सुधार के उपायों को अपनाने की भी जरूरत बताई। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि वायरस का खतरा अभी टला नहीं है और लगातार सतर्कता बहुत जरूरी है।

मोदी ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए 24 मार्च को पहले लॉकडाउन की घोषणा की थी और इसके दूसरे चरण के तौर पर तीन मई तक इसे बढ़ा दिया।

इस बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने राज्यों से चीन की दो कंपनियों से खरीदी गयीं रैपिड एंटीबॉडी जांच किट का इस्तेमाल बंद करने और उन्हें कंपनियों को वापस भेजने के लिए लौटाने को कहा है।

राजस्थान समेत कुछ राज्यों ने इन किट के परिणाम को लेकर चिंता प्रकट की थी। विपक्षी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि कुछ लोग सरकार के लिए रैपिड जांच किट की आपूर्ति करते समय मुनाफाखोरी में संलिप्त हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शाम को अपने ताजा आंकड़ों में बताया कि रविवार शाम से संक्रमण के मामलों में 1,463 का इजाफा हुआ है।

कुल 21,132 मरीजों का इलाज चल रहा है, वहीं 6,361 लोग अब तक इस संक्रमण से उबर चुके हैं। मंत्रालय के मुताबिक एक रोगी विदेश जा चुका है और कुल मामलों में 111 विदेशी नागरिक भी हैं।

मुंबई से अकेले 5,400 मामले सामने आए हैं, दिल्ली में 2,900 से ज्यादा और अहमदाबाद में 2,100 से ज्यादा मामले आए हैं। मुंबई में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं अहमदाबाद में 100 से ज्यादा और राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम 54 लोगों की मौत हो चुकी है। इन तीन बड़े केंद्रों में इस स्थिति से पूरे देश की आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा है।

देशभर में मौत के कुल 886 मामलों में से सबसे अधिक 342 मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं। इसके बाद गुजरात में 151, मध्य प्रदेश में 106, दिल्ली में 54, राजस्थान में 41 और उत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश में 31-31 मौतें हुई हैं।

तेलंगाना में 26, तमिलनाडु में 24, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में 20-20 और पंजाब में 18 लोगों की मौत हो चुकी है।

वहीं, बीमारी से जम्मू-कश्मीर में छह, केरल में चार जबकि झारखंड और हरियाणा में तीन-तीन, बिहार में दो लोगों की जबकि मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में संक्रमण के सबसे अधिक 8,068 मामले महाराष्ट्र में हैं। इसके बाद गुजरात में 3,301, दिल्ली में 2,918, राजस्थान में 2,185, मध्य प्रदेश में 2,168, उत्तर प्रदेश में 1,995 और तमिलनाडु में 1,885 मामले हैं।

आंध्र प्रदेश में संक्रमण के मामलों की संख्या 1,177 और तेलंगाना में 1,002 हो गई है।

पश्चिम बंगाल में संकमण के मामले बढ़कर 649 जबकि जम्मू-कश्मीर में 523, कर्नाटक में 511, केरल में 469, पंजाब में 313 और हरियाणा में 289 हो गए हैं।

बिहार में कोरोना वायरस के 277 मामले जबकि ओडिशा में 108 मामले सामने आए हैं। झारखंड में वायरस से 82 लोग और उत्तराखंड में 51 लोग संक्रमित हैं। हिमाचल प्रदेश में संक्रमण के 40, छत्तीसगढ़ में 37 और असम में अब तक 36 मामले हैं।

अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में कोविड-19 के 33 जबकि चंडीगढ़ में 30 और लद्दाख में 20 लोग संक्रमित हैं।

मेघालय में 12 मामले और पुडुचेरी में कोविड-19 के आठ और गोवा में सात मामले सामने आए हैं। मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो मामले जबकि मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मामला सामने आया है।

आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि कोरोना वायरस का खात्मा नहीं किया जा सकता है और संक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त एहतियात बरतकर ‘‘हमें इसके साथ रहना होगा।’’

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाने की वकालत की।

हिमाचल प्रदेश, गोवा और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने लॉकडाउन बढ़ाने की वकालत की।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद प्रदेश के अधिकारियों को तीन मई के बाद तैयारियों और आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिए योजना बनाने को कहा।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार लॉकडाउन को लेकर अलग-अलग बयान दे रही है और गृह मंत्रालय के हालिया आदेश में स्पष्टता होनी चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंस में बारी-बारी से संवाद की व्यवस्था के चलते कई राज्यों को बोलने का मौका नहीं मिला। बनर्जी ने कहा कि अगर उन्हें मौका मिलता तो वह पश्चिम बंगाल में केंद्रीय दलों को भेजने की जरूरत समेत कई मुद्दों पर सवाल उठातीं।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने राज्य में कोरोना वायरस की जांच संख्या प्रतिदिन 10,000 करने के लिए केंद्र से और ‘आरटी-पीसीआर’ किट की मांग की।

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