कोलकाता, दो दिसंबर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने सोमवार को पार्टी में अंतिम निर्णयकर्ता के रूप में अपनी स्थिति दोहराई और पार्टी नेताओं को अनुशासनहीनता व अनुचित टिप्पणियों के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की।
राज्य विधानसभा में विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने घोषणा की कि जब तक वह प्रभारी हैं, तृणमूल में सभी प्रमुख निर्णय उनके द्वारा लिए जाएंगे।
तृणमूल के एक वरिष्ठ विधायक ने बैठक के बाद कहा, ‘‘हमारी पार्टी सुप्रीमो ने कहा कि दूसरे क्या कह रहे हैं, उस पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है। जब तक वह वहां हैं, पार्टी के मामलों पर अंतिम फैसला वही लेंगी।’’
ममता बनर्जी का यह बयान आंतरिक सत्ता संघर्ष की बढ़ती अटकलों और पार्टी नेताओं की सार्वजनिक टिप्पणियों के बीच आया है, जिसकी वजह से तृणमूल को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है।
बैठक में तृणमूल की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुब्रत बख्शी सहित वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इन्हें ममता बनर्जी का करीबी विश्वासपात्र माना जाता है।
बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले जमीनी स्तर पर स्थिति को मजबूत करने के लिए तृणमूल की छात्र और युवा इकाई के संभावित पुनर्गठन का संकेत देते हुए संगठनात्मक मामलों पर भी अपनी बात रखी।
बनर्जी ने विधायकों को याद दिलाया कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित रखें और ऐसी टिप्पणियां करने से बचें जो पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
उन्होंने ऐसे मामलों का हवाला दिया जहां नेताओं की सार्वजनिक टिप्पणियों ने अनावश्यक विवाद पैदा किया था। इनमें विधायक नारायण गोस्वामी की भड़काऊ टिप्पणियां और मंत्री हुमायूं कबीर के बयान शामिल हैं जिसके कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
एक विधायक ने ममता बनर्जी के हवाले से कहा, ‘‘पार्टी को शर्मिंदा करने वाली या भ्रम पैदा करने वाली टिप्पणियां करना बंद करें। उचित परामर्श के बाद निर्णय लिया जाएगा, नेतृत्व फैसला करेगा। अगर कुछ भी कहने की जरूरत है, तो आंतरिक रूप से चर्चा की जानी चाहिए।’’
बनर्जी ने विधायकों से विधानसभा सत्रों में लगन से हिस्सा लेने का भी निर्देश दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि बिना कारण अनुपस्थिति पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सकती है।
पार्टी के एक अन्य विधायक ने बताया, ‘‘मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कोई विधायक बिना किसी उचित कारण के लगातार तीन दिनों तक सत्र में शामिल नहीं होता है, तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा।’’
ममता बनर्जी ने हाल के हफ्तों में तृणमूल में अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें वरिष्ठ विश्वासपात्रों को शामिल करने के लिए पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति में फेरबदल भी शामिल है।
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