नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस). खाने में पशु प्रोटीन की तुलना में वनस्पति आधारित प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से दिल की बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है. सोमवार को जारी एक शोध में यह पता चला है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय के हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में पता चला है कि हार्ट संबंधी जोखिम को कम करने के लिए रेड और प्रोसेस्ड मीट के बदले वनस्पति आधारित प्रोटीन को डाइट में शामिल करने से लाभ होता है.
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अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा, "इस तरह का आहार पैटर्न न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारे ग्रह के लिए भी फायदेमंद है." अध्ययन का उद्देश्य पशु प्रोटीन और वनस्पति आधारित प्रोटीन के बीच तुलना करना है कि यह कैसे दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पोषण और खाद्य अध्ययन विभाग में सहायक प्रोफेसर और शोध की मुख्य लेखिका एंड्रिया ग्लेन ने कहा, "अमेरिकी लोगों के आहार में पौधों से प्राप्त प्रोटीन और पशु से प्राप्त प्रोटीन का अनुपात लगभग 1:3 होता है. हमारे अध्ययन के अनुसार, कार्डियो वैस्कुलर डिजीज (सीवीडी) को रोकने के लिए इस अनुपात को घटाकर कम से कम 1:2 करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं."
ग्लेन ने कहा कि कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) को रोकने के लिए प्लांट बेस्ड प्रोटीन का अनुपात 1:1.3 या उससे कम होना चाहिए यानि वनस्पति आधारित प्रोटीन का अनुपात बढ़ना चाहिए.
टीम ने लगभग 2,03,000 वयस्कों के बीच आहार, जीवनशैली और हृदय स्वास्थ्य पर 30 वर्षों के डेटा का उपयोग किया. चार साल की अध्ययन अवधि के दौरान, 16,118 सीवीडी मामलों को दर्ज किया गया, जिसमें 10 हजार से अधिक सीएचडी के और छह हजार से अधिक स्ट्रोक के मामले शामिल थे.
परिणामों से पता चला कि जिन लोगों ने वनस्पति आधारित प्रोटीन की तुलना में पशु प्रोटीन का कम (अनुपात लगभग 1:1.3) सेवन किया, उनमें सीवीडी का जोखिम 19 प्रतिशत कम था और सीएचडी का जोखिम 27 प्रतिशत कम था.
जिन लोगों को अपने दैनिक आहार से मिलने वाली ऊर्जा का 21 प्रतिशत हिस्सा प्रोटीन से मिलता था, उन्होंने अपनी डाइट में वनस्पति आधारित प्रोटीन को शामिल किया. यह देखा गया कि इससे उनमें सीवीडी का खतरा 28 प्रतिशत कम था और सीएचडी का खतरा 36 प्रतिशत कम था.
शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रोसेस्ड मीट की जगह कई प्लांट प्रोटीन स्रोतों, खास तौर पर नट्स और फलियों का इस्तेमाल करने से ब्लड लिपिड और ब्लड प्रेशर के साथ-साथ सूजन संबंधी बायोमार्कर में भी सुधार हो सकता है. ऐसा आंशिक रूप से इसलिए है क्योंकि प्लांट प्रोटीन में अक्सर फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट विटामिन, मिनरल और स्वस्थ वसा की उच्च मात्रा होती है.