मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय से जारी सस्पेंस अब अपने अंतिम पड़ाव पर है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो महाराष्ट्र में अगले 24 से 48 घंटे बेहद अहम होने वाले हैं. दिल्ली में चल रही अहम बैठकों से यह साफ हो रहा है कि बीजेपी जल्द ही इस सियासी गुत्थी को सुलझाने की दिशा में बढ़ रही है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, लेकिन 145 के बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए उसे सहयोगियों की जरूरत है. इस बीच, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के साथ गठबंधन को लेकर बीजेपी के भीतर खींचतान जारी है.
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देवेंद्र फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए लगभग तय माना जा रहा है. हालांकि, एकनाथ शिंदे की महत्वाकांक्षाएं और उनकी अनिश्चितता बीजेपी के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं. दूसरी ओर, अजित पवार का अचानक दिल्ली पहुंचना और बीजेपी नेतृत्व से मुलाकात करना सियासी चर्चाओं को और हवा दे रहा है.
बीजेपी और एकनाथ शिंदे के बीच तनाव
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की इच्छा रखते हैं. हालांकि, बीजेपी इस बात को लेकर स्पष्ट है कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे. एकनाथ शिंदे द्वारा बैठकों को रद्द करने से बीजेपी के भीतर नाराजगी बढ़ रही है. बीजेपी नेताओं का मानना है कि शिंदे के रवैया अब ज्यादा दिनों तक बर्दाश्त नहीं किए जा सकते. उनकी दिल्ली नहीं आने की रणनीति और बार-बार बीमार होने के बहाने से बीजेपी नेतृत्व को गहरी चिंता हो रही है.
अजित पवार का ‘गेमचेंजर’ रोल
एनसीपी नेता अजित पवार का दिल्ली आना और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करना इस राजनीतिक समीकरण में नया मोड़ ला रहा है. चर्चा है कि अजित पवार एकनाथ शिंदे को किनारे कर बीजेपी को अपना समर्थन देने के लिए तैयार हो सकते हैं.
पवार का यह कदम न केवल बीजेपी को बहुमत के करीब ले जाएगा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में उनके प्रभाव को भी मजबूत करेगा. सवाल यह भी उठता है कि क्या देवेंद्र फडणवीस के नाम पर शिंदे की सहमति न मिलने पर बीजेपी उन्हें विकल्प के तौर पर पेश करेगी.
महायुति में सब कुछ ठीक नहीं?
महायुति गठबंधन के भीतर गहराते तनाव के बीच अब तक राज्यपाल को सरकार बनाने का दावा पेश न करना कई सवाल खड़े करता है. इन घटनाक्रमों ने राजनीतिक पंडितों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बीजेपी किसी बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है.
अगले 48 घंटे अहम
महाराष्ट्र की जनता के लिए यह इंतजार अब और लंबा नहीं होगा. आगामी 24 से 48 घंटों में राज्य का राजनीतिक भविष्य तय हो जाएगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या देवेंद्र फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, या एकनाथ शिंदे अपने पद पर बने रहेंगे, या अजित पवार इस सियासी खेल को पलट देंगे.
महाराष्ट्र की सियासत में चल रही यह खींचतान न केवल सत्ता के संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि राज्य की जनता के प्रति राजनीतिक दलों की जिम्मेदारियों पर भी सवाल उठाती है. अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र को किस तरह की सरकार मिलेगी.