मुंबई, नौ दिसंबर महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन सरकार ने कार्यभार संभालने के पांच दिन बाद सोमवार को राज्य विधानसभा में आसानी से विश्वास मत जीत लिया।
शिवसेना विधायक उदय सामंत और अन्य द्वारा पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव को तीन दिवसीय विशेष सत्र के आखिरी दिन ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
इससे पहले दिन में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को लगातार दूसरी बार निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने घोषणा की कि सदन ने विश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शिवसेना- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के ‘महायुति’ गठबंधन के पास 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 230 सीट के साथ मजबूत बहुमत है।
नार्वेकर ने विधानसभा में कहा, ‘‘विश्वास प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया है।’’
मुंबई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आयोजित समारोह में फडणवीस ने पांच दिसंबर को तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
महाराष्ट्र की 15वीं विधानसभा का कार्यकाल आधिकारिक तौर पर सात दिसंबर को शुरू हुआ। कुल 288 सदस्यीय निचले सदन में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास 230 सीट हैं, इसलिए बहुमत साबित करना महज औपचारिकता थी।
शिवसेना नेता एवं पूर्व मंत्री उदय सामंत, भाजपा विधायक संजय कुटे, वरिष्ठ राकांपा नेता एवं पूर्व मंत्री दिलीप वल्से पाटिल और निर्दलीय विधायक रवि राणा ने निचले सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया।
नार्वेकर की विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के बाद ‘महायुति’ गठबंधन के पास अब छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों सहित 229 विधायकों का समर्थन है।
भाजपा विधायक राहुल नार्वेकर सोमवार को 15वीं महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए। नार्वेकर ने रविवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। उन्हें निर्विरोध चुना गया क्योंकि विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी (एमवीए) ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।
फडणवीस ने सदन को संबोधित करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि 1960 में राज्य के गठन के बाद से नार्वेकर इस पद पर दोबारा चुने जाने वाले निचले सदन के दूसरे सदस्य हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘बालासाहेब भारदे 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से दोबारा चुने जाने वाले एकमात्र विधानसभा अध्यक्ष थे। भारदे के बाद नार्वेकर यह सम्मान पाने वाले विधानसभा के दूसरे सदस्य हैं।’’
उन्होंने बताया कि कुंदनमल फिरोदिया सदन के पहले अध्यक्ष थे जिन्हें दोबारा नियुक्त किया गया था, लेकिन यह बंबई राज्य के समय की बात है और महाराष्ट्र के गठन से पहले सयाजी एल. सिलम को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था और राज्य के अस्तित्व में आने के बाद उन्हें फिर से चुना गया।
करीब ढाई साल तक 14वीं विधानसभा के अध्यक्ष रहे भाजपा नेता नार्वेकर 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में मुंबई की कोलाबा विधानसभा सीट से फिर से चुने गए।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान नार्वेकर ने फैसला सुनाया था कि बाल ठाकरे द्वारा स्थापित पार्टी में विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी ‘‘असली शिवसेना’’ है।
उन्होंने यह भी फैसला दिया था कि अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) है, जिसकी स्थापना शरद पवार ने की थी।
फडणवीस ने शिवसेना और राकांपा से जुड़े विवादों पर दिए गए फैसलों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘अध्यक्ष के तौर पर अपने पहले कार्यकाल के दौरान नार्वेकर को अपनी योग्यता की कुछ कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ा, जैसे सदन में पार्टियों को मान्यता देने से जुड़े फैसले। यह उनकी अग्निपरीक्षा थी। सदन में हुई कई चर्चाओं के दौरान उनकी कानूनी सूझबूझ अमूल्य साबित हुई।’’
इस बीच, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नार्वेकर के चुनाव का “बहिष्कार” किया क्योंकि उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान एक असंवैधानिक सरकार चलाने में मदद की थी।
आदित्य ठाकरे ने मुंबई में पत्रकारों से कहा कि शिवसेना (उबाठा) ने विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के दौरान नार्वेकर के चुनाव और नए विधायकों को शामिल करने का बहिष्कार किया।
शिवसेना (उबाठा) नेता ने कहा, “उन विधायकों के बारे में हर कोई जानता है जो सूरत और फिर गुवाहाटी (2022 में शिवसेना के विभाजन के बाद) भाग गए थे। सभी ने देखा है कि विधानसभा अध्यक्ष (नार्वेकर) के रूप में चुने गए इस व्यक्ति ने पिछले ढाई वर्ष में कैसे एक असंवैधानिक सरकार चलाने में मदद की।”
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि नार्वेकर अगले पांच साल में विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर अन्याय नहीं करेंगे।’’
राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने शाम को विधानमंडल की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के वास्ते 1.53 लाख रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्यपाल ने कहा कि आज तक 78,309 पद भरे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के अधीन, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (पीईएसए) के प्रावधानों के तहत 17 संवर्गों में 6,931 रिक्त पदों को मानदेय के आधार पर भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने फरवरी, 2024 में 10,000 कुशल जनशक्ति की आपूर्ति के लिए जर्मनी के बाडेन-वुर्टेमबर्ग राज्य के साथ समझौता किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्य में 21 से 65 वर्ष की महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 2.34 करोड़ से अधिक महिला लाभार्थियों को 1,500 रुपये प्रति माह की राशि दी जा रही है और इस साल जुलाई से नवंबर तक पांच मासिक किश्तों का भुगतान किया जा चुका है।
राज्यपाल ने कहा कि यह योजना जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि राज्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने में सभी राज्यों में नंबर एक बनकर उभरा है।
राज्यपाल ने कहा कि महाराष्ट्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 14 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।
उन्होंने कहा कि राज्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए पसंदीदा है।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘वर्ष 2023-24 में 1,25,101 करोड़ रुपये के निवेश के साथ महाराष्ट्र एफडीआई के मामले में देश में शीर्ष पर रहा और वर्ष 2024-25 की पहली दो तिमाहियों (अप्रैल से सितंबर) के दौरान सर्वाधिक एफडीआई (1,13,236 करोड़ रुपये जो पिछले साल के कुल एफडीआई के 90 प्रतिशत से अधिक है) आकर्षित करके यह एक बार फिर देश में शीर्ष पर रहा। ”
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