देश की खबरें | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे ने मराठा आरक्षण के लिए प्रतिबद्धता जताई

मुंबई/ठाणे, सात सितंबर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहस्पतिवार को मराठा समुदाय को आरक्षण देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

वहीं, राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से जालना जिले में इस मुद्दे पर शुरू किए गए उनके अनशन को खत्म करने की अपील दोहराई।

सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के सचिव (सेवाएं) सुमंत भांगे ने जरांगे को आरक्षण पर सात सितंबर के सरकारी प्रस्ताव (जीआर) की एक प्रति भेजी, जो मराठा समुदाय के लिए शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर जालना के एक गांव में 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। सरकार की ओर से वरिष्ठ नौकरशाह ने पत्र लिखकर जरांगे से अनशन खत्म करने की अपील की।

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने बुधवार को फैसला किया था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठा को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे जिनके पास निजाम शासनकाल के ऐसे राजस्व या शिक्षा दस्तावेज हैं, जो उन्हें कुनबी के रूप में पहचान दिलाते हैं। यह जीआर इसी पर आधारित है।

कुनबी (कृषि से जुड़ा समुदाय) को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।

ठाणे में मुख्यमंत्री शिंदे ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी सरकार यह साबित करने का प्रयास करेगी कि मराठा समुदाय पिछड़ा है और इसके सदस्यों को उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की आवश्यकता है।

शिंदे ने कहा, ‘‘सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर दृढ़ है और ऐसा करते समय वह किसी अन्य समुदाय के साथ अन्याय नहीं करेगी।’’

एक सवाल के जवाब में, मुख्यमंत्री ने दावा किया कि देवेंद्र फडणवीस सरकार (2014-19) के दौरान मराठा आरक्षण के मोर्चे पर जो भी अच्छा काम किया गया था, उसे पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार (नवंबर 2019-जून 2022) ने बेकार कर दिया था, लेकिन अब चीजें दुरुस्त की जाएंगी।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब हम खामियों का पता लगाएंगे और चीजों को ठीक करेंगे और अन्य वर्गों के आरक्षण को प्रभावित किए बिना मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करेंगे।’’

इस बीच, महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर अनशन कर रहे मनोज जरांगे ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनका प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक राज्य सरकार मराठवाड़ा इलाके में मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के वास्ते वंशावली नियमों में ढील नहीं दे देती।

मराठवाड़ा क्षेत्र महाराष्ट्र का हिस्सा बनने से पहले तत्कालीन निजाम शासित हैदराबाद राज्य के अंतर्गत आता था।

जिले के अंतरवाली सारथी गांव में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जरांगे ने राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि उसने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो पहले नहीं हुए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अभी तक सरकार के फैसले के बारे में सरकारी प्रस्ताव (जीआर) नहीं मिला है, लेकिन हमें पता चला है कि यह उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के लिए है जिनके पास वंशावली है। यदि हमारे पास वंशावली है, तो हमें (कुनबी जाति) प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए जीआर की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)