इंदौर, 24 मार्च मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरोध में वकीलों के आंदोलन का आह्वान करने वाली राज्य अधिवक्ता परिषद के एक शीर्ष पदाधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि सूबे में न्यायाधीशों की कमी के चलते अदालतों में बड़ी तादाद में मुकदमे लम्बित हैं।
गौरतलब है कि परिषद, उच्च न्यायालय के उस आदेश का विरोध कर रही है जिसमें राज्य की निचली अदालतों को 25 पुराने मामलों को छांटने और तीन महीने के भीतर उनका निपटारा करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस आदेश के विरोध में तीन दिवसीय आंदोलन के तहत सूबे के एक लाख से ज्यादा वकीलों ने बृहस्पतिवार से न्यायिक कार्य करना बंद कर दिया है जिससे अदालतों में सुनवाई प्रभावित हो रही है और पक्षकारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष प्रेमसिंह भदौरिया ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,‘‘किसी भी मुकदमे का निराकरण तय समय-सीमा में नहीं हो सकता। अगर मुकदमे (बड़ी तादाद में) लम्बित हैं, तो यह न्यायाधीशों की कमी के चलते हो रहा है।’’
उन्होंने मांग की कि उच्च न्यायालय और निचली अदालतों में पर्याप्त संख्या में न्यायाधीशों की नियुक्ति कर यह कमी दूर की जानी चाहिए।
वकीलों के जारी आंदोलन के भावी स्वरूप के बारे में पूछे जाने पर भदौरिया ने कहा कि इस सिलसिले में 26 मार्च (रविवार) को आगामी रणनीति तय की जाएगी।
उन्होंने कहा,‘‘बार और बेंच के लोग एक साथ बैठकर एक-दूसरे की कठिनाइयों को समझेंगे, तभी इनका निराकरण होगा। हमने न्यायपालिका को अपनी समस्याओं से अवगत कराते हुए उससे बातचीत का आग्रह किया है।’’
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