रांची, 28 अगस्त: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की चाईबासा कोषागार से 33 करोड़ रुपए से अधिक के गबन से जुड़े एक मामले में जमानत याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई होनी थी लेकिन सीबीआई (CBI) के वकील के बीमार होने के चलते सुनवाई नहीं हो सकी और अब इस पर 11 सितंबर को सुनवाई होगी. लालू फिलहाल साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे हैं.
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की चाईबासा कोषागार से 1992-93 में 33 करोड़ 67 लाख रुपये के गबन से जुड़े मामले में इस वर्ष तीन जुलाई को दाखिल जमानत याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की पीठ के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई होनी थी लेकिन सीबीआई ने न्यायालय की कार्यवाही प्रारंभ होते ही बताया कि इस मामले को देख रहे उनके अधिवक्ता बीमार हैं लिहाजा मामले की सुनवाई के लिए कोई और तारीख निश्चित कर दी जाये जिसके बाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए 11 सितंबर की तिथि निश्चित की.
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इस मामले में जमानत मिलने पर भी लालू अभी रिहा नहीं हो सकेंगे क्योंकि चारा घोटाले के दुमका कोषागार से गबन के मामले में उन्हें 14 वर्ष कैद की सजा मिली है और उक्त मामले में वह इस समय जेल में हैं तथा दुमका मामले में उच्च न्यायालय से उनकी जमानत याचिका भी पहले ही खारिज हो चुकी है. लालू यादव के वकील देवर्षि मंडल ने बताया कि लालू को इस मामले में जमानत मिल जाने की पूरी संभावना है क्योंकि उनकी याचिका में कहा गया है कि इस मामले में उन्हें पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी गयी है और उन्होंने आधी सजा काट ली है.
उन्होंने कहा कि वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय की बीमारी, गुर्दे की पुरानी बीमारी, फैटी लीवर, हाइपर यूरिसिमिया, गुर्दे में स्टोन, फैटी हीपेटाइटिस एवं प्रोस्टेट जैसी तमाम बीमारियों से जूझ रहे हैं. अतः उन्हें बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न रखकर रिम्स में भर्ती कराया गया है. उन्होंने कहा कि न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि आधी सजा काट लेने और बीमार रहने के कारण उन्हें इस मामले में जमानत मिलनी चाहिए.
लालू यादव पर चारा घोटाले के झारखंड में पांच मामले हैं जिनमें से दो मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है. जबकि डोरंडा कोषागार से गबन के एक मामले में अभी सीबीआई अदालत में यहां सुनवाई जारी है. आरजेडी के सूत्रों ने बताया कि अक्टूबर-नवंबर में संभावित बिहार विधानसभा चुनावों से पूर्व उन्हें जमानत पर रिहा कराने की पूरी कोशिश की जा रही है क्योंकि इस बार के चुनाव आरजेडी के लिए बहुत महत्व रखते हैं.
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