कोविड-19: खाड़ी देशों में फंसे प्रवासी कामगारों की मदद के लिये न्यायालय में याचिका

नयी दिल्ली, 10 अप्रैल कोविड-19 महामारी की वजह से खाड़ी देशों में फंसे भारतीय कामगारों को स्वदेश वापस लाने में केन्द्र की मदद के लिये शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी।

यह याचिका प्रवासी विधि प्रकोष्ठ ने दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि खाड़ी देशों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर बहुत दयनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं। इन श्रमिकों को वापस लाने के लिये उचित बंदोबस्त करने का केन्द्र को निर्देश दिया जाये।

याचिका में कहा गया है कि जिन श्रमिकों में कोरोना वायरस के लक्षण नजर आ रहे हैं उनके लिये समय पर जांच और चिकित्सा सुविधायें सुनिश्चित कराने का निर्देश सरकार को देने का भी अनुरोध किया गया है क्योंकि अमानवीय हालात में रहने वाले श्रमिकों को भी यह संक्रमण होने का खतरा रहेगा।

याचिका में इन कामगारों के लिये पर्याप्त भोजन, दवाओं, अलग रहने की व्यवस्था और आपात सेवा सुविधा मुहैया कराने के लिये कदम उठाने का भी अनुरोध किया गया है।

याचिका के अनुसार, खाड़ी के देशों में करीब 90 लाख भारतीय काम करते हैं।

याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ता कोविड-19 महामारी की वजह से खाड़ी सहयोग परिषद (बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर,सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात) के देशों में कार्यरत भारतीय श्रमिकों की दयनीय की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है।

याचिका में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार, इस समय, सऊदी अरब में कोरोना वायरस के 2,932, संयुक्त अरब अमीरात में 2,659, कतर में 2,210, बहरीन में 823, कुवैत में 855 और ओमान में 457 मामले सामने आये हैं।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि खाड़ी देशों में इन प्रवासी मजदूरों में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि होने के बावजूद अस्पतालों में उपचार उपलब्ध कराने से इंकार किया जा रहा है और उन्हें अपने शिविरों में ही रहने की हिदायत दी जा रही है।

याचिका में कहा गया गया है कि खाड़ी के कई देशों में प्रवासी मजदूरों को लॉकडाउन की वजह से उन शिविरों में रखा जा रहा है जिनमें क्षमता से अधिक श्रमिक हैं। इन शिविरों मे श्रमिकों को ठूंस ठूंस कर भर दिया गया है और सामाजिक दूरी बनाये रखने के मानकों का पालन नहीं किया है। इस वजह से दूसरे कामगारों में भी यह संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुयी है।

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