तिरुवनंतपुरम, 13 जनवरी केरल के विधायक पी. वी. अनवर के नीलांबुर विधायक पद से सोमवार को इस्तीफा देने को लेकर राज्य में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली।
विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने जहां सतर्कतापूर्वक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वह उचित समय पर अनवर के मोर्चे में शामिल होने की इच्छा पर निर्णय लेगा, वहीं सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मामले को कमतर दिखाने की कोशिश की।
हालांकि अनवर ने यूडीएफ को बिना शर्त समर्थन देने की बात कही और विपक्ष के नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने इस पर त्वरित प्रतिक्रिया न देने का रुख अपनाया।
विपक्ष के नेता वी. डी. सतीशन और पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि न तो कांग्रेस और न ही यूडीएफ ने अनवर को अपने पाले में लेने के बारे में कोई चर्चा की है, लेकिन दोनों ने ही उनके द्वारा यूडीएफ को दिए गए समर्थन पर खुशी जताई।
चेन्निथला ने कहा कि उन्हें टेलीविजन चैनलों के माध्यम से अनवर के इस्तीफे के बारे में पता चला।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह खुशी की बात है कि उन्होंने (अनवर ने) यूडीएफ को समर्थन दिया है। लेकिन मोर्चे ने अभी तक इस मामले पर कोई चर्चा नहीं की है। यूडीएफ उचित समय पर इस मामले पर चर्चा करेगा।’’
कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे को बिना शर्त समर्थन देने की अनवर की घोषणा का स्वागत करते हुए चेन्निथला ने हालांकि, आगामी विधानसभा उपचुनाव के लिए नीलांबुर में कांग्रेस नेता वी एस जॉय को यूडीएफ उम्मीदवार बनाने के उनके सुझाव पर प्रतिक्रिया देने से परहेज किया।
उन्होंने कहा कि पार्टी के पास प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में अपना उम्मीदवार तय करने की अपनी प्रणाली है और फिलहाल इस पर फैसला करने की कोई जरूरत नहीं है।
सतीशन ने भी इसी तरह की भावनाओं को दोहराया और कहा कि यूडीएफ ने अनवर के लिए अपने दरवाजे बंद या खोले नहीं हैं।
सतीशन ने वायनाड में संवाददाताओं से कहा, ‘‘उनका समर्थन अच्छी बात है...हमने अनवर के लिए दरवाजे बंद या खोले नहीं हैं।’’
विपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि वह नीलांबुर के पूर्व विधायक द्वारा राज्य विधानसभा में लगाए गए करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में सार्वजनिक रूप से मांगी गई माफी को स्वीकार कर रहे हैं। उस समय वह वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) का हिस्सा थे।
इस बीच माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी को अनवर के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि वाम दल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि अब उसका अनवर से कोई संबंध नहीं है और इसके बाद उन्होंने (अनवर ने) एलडीएफ से भी अपना संबंध समाप्त कर लिया है।
तृणमूल कांग्रेस में अनवर के नये कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर गोविंदन ने कहा कि वह (अनवर) जहां भी जाएंगे, अंततः यूडीएफ में ही जाएंगे।
इस बीच माकपा नेता एवं मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव पी. शशि ने अनवर द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। अनवर ने कथित तौर पर कहा था कि सदन में सतीशन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के पीछे शशि थे।
अनवर के आरोपों को "सरासर झूठ" करार देते हुए शशि ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया कि विधानसभा में विपक्ष के नेता सतीशन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए उन्होंने (शशि ने) ही उनसे (अनवर से) कहा था।
उन्होंने अनवर पर नया राजनीतिक आश्रय तलाशने का आरोप लगाते हुए कहा कि अनवर ने पहले भी उनके खिलाफ निराधार आरोप लगाए थे।
शशि ने एक बयान में यह भी कहा कि केरल के लोग समझ जाएंगे और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को बदनाम करने के अनवर के जघन्य कदमों को खारिज कर देंगे।
उन्होंने कहा कि अनवर के आरोपों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का फैसला किया गया है।
कुछ महीने पहले सत्तारूढ़ एलडीएफ से अलग होने के बाद हाल ही में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए अनवर ने सोमवार को नीलांबुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।
अनवर ने यहां विधानसभा परिसर में विधानसभा अध्यक्ष ए एन शमसीर से उनके कक्ष में जाकर मुलाकात की और सुबह उन्हें अपना त्यागपत्र सौंपा।
माकपा-नीत एलडीएफ समर्थित विधायक के रूप में नीलांबुर सीट जीतने वाले अनवर ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह ममता बनर्जी-नीत पार्टी के राज्य समन्वयक के रूप में काम करेंगे। उन्होंने अपने कार्यकाल के डेढ़ साल शेष रहते विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।
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