कर्नाटक का धन ‘कुशासित और भ्रष्टचार में लिप्त राज्यों’ को पुरस्कृत करने के लिए दिये: CM सिद्धरमैया

बेंगलुरु, 12 अक्टूबर : मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को केंद्र पर कर हस्तांतरण में कर्नाटक को कम धनराशि आवंटित करके उसके साथ अन्याय करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य की कड़ी मेहनत से अर्जित धन का इस्तेमाल ‘‘कुशासित और भ्रष्टाचार से ग्रस्त’’ राज्यों को पुरस्कृत करने के लिए किए जाने पर सवाल उठाए जाने की जरूरत है. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद से कर्नाटक को ‘‘नुकसान’’ उठाना पड़ा है. उन्होंने इस बात पर सार्वजनिक बहस शुरू करने की वकालत की कि किस प्रकार कर्नाटक संघीय ढांचे का सम्मान करते हुए अपना उचित हिस्सा सुरक्षित कर सकता है.

सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘कर हस्तांतरण में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा कर्नाटक के साथ लगातार अन्याय किया जाना निर्विवाद है, जिसका ताजा प्रमाण कर हिस्सेदारी के आंकड़े हैं. 28 राज्यों को आवंटित कुल 1,78,193 करोड़ रुपये में से कर्नाटक को मात्र 6,498 करोड़ रुपये दिए गए हैं. यह घोर अन्याय प्रत्येक कन्नड़ व्यक्ति से, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या राजनीतिक संबद्धता का हो, इस तरह के भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प लेने का आह्वान करता है.’’ यह भी पढ़ें : Baba Siddique के साथ बेटे Zeeshan Siddique भी थे निशाने पर, दुर्गा विसर्जन की भीड़ में छिपे थे हमलावर – रिपोर्ट

उन्होंने एक बयान में कहा कि आइये अन्याय पर जीत के प्रतीक इस विजयादशमी को न्याय के लिए हमारी सामूहिक लड़ाई की शुरुआत का प्रतीक मानें. मुख्यमंत्री ने जानना चाहा कि कर्नाटक ने ऐसी क्या गलती की है कि उसे ऐसी उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह प्रश्न प्रत्येक गौरवान्वित कन्नड़ भाषी को केन्द्र सरकार से अवश्य पूछना चाहिए कि राज्य के कठिन परिश्रम से अर्जित योगदान का उपयोग कुशासन और भ्रष्टाचार से ग्रस्त राज्यों को पुरस्कृत करने के लिए क्यों किया जा रहा है?

उन्होंने सवाल किया, ‘‘अपने खराब शासन के लिए बदनाम उत्तर प्रदेश को 31,962 करोड़ रुपये, बिहार को 17,921 करोड़ रुपये, मध्यप्रदेश को 13,987 करोड़ रुपये और राजस्थान को 10,737 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. कर्नाटक का पसीना और मेहनत उन राज्यों के विकास में क्यों सहायक हो, जो कुशासन के कारण पिछड़ गए हैं?’’ सिद्धरमैया ने कहा कि देश के कर राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देने के बावजूद कर्नाटक को कुल कर हिस्सेदारी का केवल 3.64 प्रतिशत ही प्राप्त होता है, जो उत्तर प्रदेश को 17.93 प्रतिशत, बिहार को 10.05 प्रतिशत, राजस्थान को 6.02 प्रतिशत और मध्यप्रदेश को 7.85 प्रतिशत दी गई राशि से काफी कम है. इन आंकड़ों से केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियां स्पष्ट होती हैं. उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने कर्नाटक को मिलने वाले कर का 4.713 प्रतिशत हिस्सा निर्धारित किया था, लेकिन 15वें वित्त आयोग ने इसे अनुचित तरीके से घटाकर 3.647 प्रतिशत कर दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वित्त आयोग ने नुकसान की भरपाई के लिए 5,495 करोड़ रुपये के विशेष अनुदान की सिफारिश की, तब भी केंद्र सरकार ने धनराशि जारी करने से इनकार कर दिया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक की आबादी की हिस्सेदारी भारत की आबादी का केवल पांच प्रतिशत है, लेकिन यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 प्रतिशत का योगदान देता है. उन्होंने कहा कि राज्य जीएसटी संग्रह में दूसरे स्थान पर है और जीएसटी वृद्धि में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ देश में अग्रणी है. सिद्धरमैया ने दावा किया लेकिन कर्नाटक को अपने संग्रहित जीएसटी का केवल 52 प्रतिशत ही प्राप्त होता है, जिससे जीएसटी लागू होने के बाद से उसे 59,274 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, ‘‘भले ही कर्नाटक केंद्रीय कोष में सालाना 4.5 लाख करोड़ रुपये का योगदान देता है, लेकिन राज्य को कर हिस्सेदारी के रूप में केवल 45,000 करोड़ रुपये और अनुदान के रूप में 15,000 करोड़ रुपये मिलते हैं और योगदान किए गए प्रत्येक रुपये के लिए उसे मात्र 15 पैसे मिलते हैं. हमें इस घोर अन्याय को कब तक सहन करना होगा?’’