देश की खबरें | यौन उत्पीड़न के मामले में विवादित टिप्पणी करने वाले न्यायाधीश ने पहले भी की थी गड़बड़ी: हलफनामा

कोच्चि, दो नवंबर केरल उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने अदालत को बताया है कि यौन उत्पीड़न के दो मामलों में एक आरोपी को जमानत देते हुए अपने आदेश में विवादित टिप्पणी करने वाले सत्र न्यायाधीश ने एक बार व्हाट्सऐप संदेश के जरिए आरोपी को सुनवाई की तारीख बताकर मामले का निपटारा कर दिया था।

रजिस्ट्रार जनरल पी कृष्ण कुमार ने एक हलफनामे में कहा कि इसके साथ ही यौन उत्पीड़न के अन्य मामलों में “बार बार अनुचित दृष्टिकोण” के कारण सत्र न्यायाधीश का कोल्लम जिले में एक श्रम अदालत में तबादला कर दिया गया।

उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने सत्र न्यायाधीश के तबादले को बरकरार रखा था। इस आदेश के खिलाफ सत्र न्यायाधीश ने अपील दाखिल की थी, जिसके बाद रजिस्ट्रार जनरल ने यह हलफनामा दाखिल किया है।

यौन उत्पीड़न के अलग-अलग मामलों में आरोपी लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता सिविक चंद्रन को जमानत देने के सत्र न्यायाधीश एस. कृष्णकुमार के विवादित आदेशों की ओर इशारा करते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि “इस आदेश से अधिकारी का अनुचित रवैया दिखाई देता है।”

रजिस्ट्रार जनरल के 10 तारीख के इस हलफनामे में कहा गया है, “ये आदेश न्यायाधीश के अनुचित दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हैं, जिनके कारण आम जनता के बीच पूरी न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचा। इससे न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम होता।”

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि कोल्लम में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के तौर पर काम करते समय न्यायिक अधिकारी ने “एक प्रतिनियुक्ति वाले पद को पाने की जल्दी में, मामले की सुनवाई के संबंध में आरोपी को व्हाट्सएप संदेश भेजने के बाद एक मामले का निपटारा कर दिया था।”

न्यायिक अधिकारी के इस फैसले को बाद में उच्च न्यायालाय ने रद्द कर दिया था।

कृष्णकुमार ने चंद्रन को जमानत देते हुए दो अगस्त के अपने आदेश में कहा था कि आरोपी एक सुधारक है और जाति व्यवस्था के खिलाफ है। इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं किया जा सकता कि वह यह जानने के बाद कि पीड़िता अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से संबंध रखती है, उसे छूता।

इसी तरह 12 अगस्त को अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि आरोपी द्वारा जमानत याचिका के साथ पेश की गईं पीड़िता की तस्वीरें बताती हैं कि उसने यौन भावनाओं को उकसाने वाले कपड़े पहन रखे थे। साथ ही इस बात पर यकीन करना असंभव है कि शारीरिक रूप से कमजोर 74 साल का व्यक्ति ऐसा अपराध कर सकता है।

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