नयी दिल्ली, पांच अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को निर्देश दिया कि वह सार्वजनिक सेवा केंद्रों (सीएससी) पर स्नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष की ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा (ओबीई) देने वाले नेत्रहीन छात्रों के लिए लेखक उपलब्ध कराए।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय यह सुनिश्चित करे कि सीएससी पर परीक्षा देने वाले ऐसे छात्रों को लेखक से वंचित नहीं किया जाए, जो पहले ही इस बारे में विश्वविद्यालय को सूचित कर चुके हों।
सार्वजनिक सेवा केंद्रों की स्थापना ऐसे छात्रों के लिए गई है, जिनके पास ओबीई में भाग लेने के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध नहीं है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने विश्वविद्यालय को नेत्रहीन छात्रों को प्रत्येक पेपर की कम से कम दो पठन सामग्री या किताबें प्रदान करने का भी निर्देश दिया और छात्रों को डीयू से अनुरोध करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
पीठ ने कहा कि ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस के रूंगटा ने नेत्रहीन छात्रों को सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए सहमति दी है।
साथ ही अदालत ने विश्वविद्यालय को ओबीई में हिस्सा लेने वाले छात्रों के परीक्षा परिणाम की तय तारीख बताने को भी कहा।
अदालत ने दर्ज किया कि डीयू छात्रों को अपने परास्नातक पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश देगा जो उनके परीक्षा पास करने पर निर्भर करेगा।
याचिकाकर्ता प्रतीक शर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के उस सुझाव से भी पीठ ने सहमति जतायी, जिसमें डीयू से परास्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के संबंध में एक शपथपत्र देने की बात कही गई।
अदालत ने विश्वविद्यालय को उन छात्रों की संख्या भी बताने को कहा, जिन्होंने ऑनलाइन परीक्षा में पंजीकरण और लॉग इन किया था।
मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की गई।
डीयू में 10-31 अगस्त के बीच स्नातक के अंतिम वर्ष के लिए ऑनलाइन ओबीई आयोजित करने की तैयारी है।
ऐसे में जो छात्र ऑनलाइन परीक्षा नहीं दे पाएंगे, उन्हें परीक्षा कक्ष में उपस्थित हो कर परीक्षाओं में बैठने का एक अवसर दिया जाएगा, जो सितंबर में आयोजित होने वाली हैं।
उच्च न्यायालय विधि छात्र प्रतीक शर्मा और नेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन परीक्षा के दौरान नेत्रहीन छात्रों के लिए उचित व्यवस्था करने का अनुरोध किया था।
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