जरुरी जानकारी | भारत का कृषि निर्यात मार्च-जून में 23.24 प्रतिशत बढ़कर 25,500 करोड़ रुपय का हो गया :: सरकार

नयी दिल्ली, 18 अगस्त कोविड-19 महामारी के दौरान भारत का कृषि निर्यात मूल्य के हिसाब से मार्च-जून के दौरान 23.34 प्रतिशत बढ़कर 25,552.7 करोड़ रुपये का हो गया। कृषि मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिये एक व्यापक कार्य योजना तैयार की जा रही है और मौजूदा कृषि शंकुलों (क्लस्टररों) को सुदृढ़ किया जा रहा है। इसके अलावा कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिये कुछ गंतव्यों की पहचान की गयी है।

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इसमें कहा गया है कि कृषि निर्यात को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। न केवल बहुमूल्य विदेशी मुद्रा सृजन के लिहाज से बल्कि आत्म निर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने लिये भी यह जरूरी है और जिसके लिये आत्म निर्भर कृषि बेहद महत्वपूर्ण है।

बयान के अनुसार, ‘‘कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये लागू किये गये ‘लॉकडाउन’ के मुश्किल दौर में भी भारत ने दुनिया को खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित नहीं होने दिया और निर्यात जारी रखा।’’

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मंत्रालय ने कहा कि कृषि जिंसों का निर्यात चालू वर्ष में मार्च-जून 2020 के दौरान 23.34 प्रतिशत बढ़कर 25,552.7 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले इसी अवधि में यह निर्यात 20,734.8 करोड़ रुपये का था।

मंत्रालय के अनुसार कृषि क्षेत्र में भारत के उत्पादन के अनुरूप शीर्ष निर्यातक देश बनने के लिये स्पष्ट और सक्रिय हस्तक्षेप की जरूरत है।

भारत गेहूं उत्पादन के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है लेकिन निर्यात के लिहाज से वह 34वें स्थान पर है। इसी प्रकार, सब्जी उत्पादन में विश्व में तीसरे स्थान पर होने के बावजूद निर्यात के मामले में भारत 14वें स्थान पर है।

फलों के मामले में भी यही स्थिति है। भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा फलों का उत्पादक देश है लेकिन निर्यात के मामले में वह 23वे स्थान पर है।

मंत्रालय ने कहा कि कृषि व्यापार को बढ़ावा देने के लिये व्यापक कार्य योजना तैयार की गयी है। इसके तहत निर्यात को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिये उत्पाद केंद्रित निर्यात संवर्धन मंच (ईपीएफ) गठित किये गये हैं।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अंतर्गत आठ कृषि और संबद्ध उत्पादों...अंगूर, आम, केला, प्याज, चावल, पोषक तत्व वाले अनाज, अनार और फूलों की खेती...के लिये ईपीएफ का गठन किया गया है।

प्रत्येक ईपीएफ में संबंधित जिंसों के निर्यातक सदस्य होंगे, जिनके साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों के संबंधित मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने वाले सरकारी सदस्य शामिल होंगे।

एपिडा प्रमुख इनमें से प्रत्येक फोरम का अध्यक्ष होंगे। इस फोरम की हर दो महीने में कम से कम एक बार बैठक होगी।

फोरम की सिफारिशों को एपिडा की उत्पाद समिति के समक्ष रखा जाएगा और फोरम कृषि मंत्रालय के संबंधित संगठन के साथ निकट संपर्क में रहेगा।

मंत्रालय ने मौजूदा 'कृषि-क्लस्टरों' को मजबूत करने और थोक मात्रा और आपूर्ति की गुणवत्ता की खाई को पाटने के लिए अधिक उत्पाद-विशेष वाले क्लस्टर बनाने पर भी जोर दिया है।

इसमें कहा गया है कि खाद्य तेलों, काजू, फलों और मसालों पर विशेष ध्यान देने के साथ आयात प्रतिस्थापन के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना भी तैयार की गई है, जिससे भारत आत्मनिर्भर हो रहा है।

अंगूर, आम, अनार, प्याज, आलू जैसे कृषि उत्पादों पर विशेष जोर देने के साथ ताजे फल और सब्जियों के लिए निर्यात संवर्धन के लिए एक विशिष्ट रणनीति तैयार की गई है।

निर्यात रणनीति के तहत स्वास्थ्यप्रद खाद्य, सेहत की देखरेख करने वाले खाद्य और न्यूट्रास्युटिकल्स के तेजी से विकसित हो रहे अहम बाजारों में निर्यात बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ नए उत्पादों को लेकर विदेशी बाजारों में प्रवेश करने में मदद पाने के लिए 'ब्रांड इंडिया' का विकास करने पर ध्यान दिया जायेगा जो स्वत: ही अधिक मूल्य प्राप्त करने की ओर ले जायेगा।

उन्होंने कहा, "खाड़ी देशों की शिनाख्त, बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रमुख गंतव्य के रूप में की गई है जो भारत के लिए एक मजबूत बाजार है। हालांकि मौजूदा समय में भारत उनके कुल आयात का केवल 10-12 प्रतिशत हिस्सा ही निर्यात कर पाता है।"

इसमें कहा गया है कि यह दो-तरफा दृष्टिकोण - आयात प्रतिस्थापन के लिए मूल्य-संवर्धन और केन्द्रित कार्ययोजना पर जोर देने के साथ कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के मुद्दे को संबोधित करता है।

निर्यात के कारण किसानों, उत्पादकों, निर्यातकों को एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय बाजार का लाभ उठाने और अपनी आय बढ़ाने में मदद मिलती है।

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