नयी दिल्ली, 20 दिसंबर कांग्रेस और 'इंडिया' गठबंधन के कुछ अन्य घटक दलों के नेताओं ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के संदर्भ में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई "अपमानजनक" टिप्पणी के खिलाफ शुक्रवार को यहां विरोध प्रदर्शन किया।
संसद भवन के निकट विजय चौक पर 'इंडिया' गठबंधन के सांसदों ने बाबासाहेब की तस्वीर वाली तख्तियां लेकर नारेबाजी की। उन्होंने "अमित शाह इस्तीफा दो" और "अमित शाह माफी मांगो" के नारे लगाए।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, पार्टी के कई सांसद, झारखंड मुक्ति मोर्चा और ‘इंडिया’ गठबंधन के कुछ अन्य घटक दलों के नेता इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
विपक्षी दल संसद के शीतकालीन सत्र में, संसद के मकर द्वार के निकट विरोध प्रदर्शन करते थे, लेकिन बृहस्पतिवार की धक्का-मुक्की की घटना को बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने निर्देश दिया कि कोई भी राजनीतिक दल, सांसद और सांसदों का समूह संसद के किसी भी द्वार पर प्रदर्शन नहीं कर सकते।
गृह मंत्री अमित शाह की बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर से संबंधित टिप्पणी को लेकर विरोध जताते हुए कल विपक्षी सदस्यों ने मार्च निकाला तो भाजपा सांसदों ने कांग्रेस पर बाबासाहेब के अपमान का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया।
संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के निकट सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य एक दूसरे के सामने आ गए और जमकर नारेबाजी की।
भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने धक्का-मुक्की की जिस वजह से उसके बुजुर्ग सांसद प्रताप सारंगी चोटिल हुए। भाजपा सासंद मुकेश राजपूत को भी चोट लगी है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस का दावा है कि भाजपा के सांसदों ने उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कई महिला सांसदों को संसद भवन में जाने से रोका और धक्का-मुक्की की।
कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि शाह ने ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर राज्यसभा में दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए मंगलवार को अपने संबोधन के दौरान बाबासाहेब का अपमान किया।
मुख्य विपक्षी दल ने शाह के संबोधन का एक वीडियो अंश भी जारी किया, जिसमें गृह मंत्री विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए यह कहते सुने जा सकते हैं, ‘‘अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर...। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।’’
दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा बाबासाहेब का अपमान किया और यह सुनिश्चित किया कि वह चुनाव में हार जाएं।
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