जम्मू, 16 सितंबर भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में सर्दी में भी आर-पार की जंग लड़ने के लिये पूरी तरह तैयार है। साथ ही अगर चीन युद्ध छेड़ता है तो उसे अच्छी तरह प्रशिक्षित, बेहतर ढंग से तैयार, पूरी तरह चौकस और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत भारतीय सैनिकों का सामना करना होगा। सेवानिवृत ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने यह बात कही है।
उधमपुर में सेना की उत्तरी कमान के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) ने आज दिन में एक बयान के साथ 'भारतीय सेना की संचालनात्मक तैयारियां' नामक पूर्व सैन्य अधिकारी की आकलन रिपोर्ट मीडिया को प्रसारित की थी।
शाम के समय जनसंपर्क अधिकारी ने मीडिया को भेजे ईमेल संदेश में कहा कि ''बयान उत्तरी कमान या सेना के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता'' और इसे ''रद्द'' माना जा सकता है।
पीआरओ ने अलग से वाट्सऐप संदेश में कहा कि बयान में ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) हेमंत महाजन के विचार हैं और यह गलती से उत्तरी कमान के बयान की तरह प्रेषित हो गया।
महाजन के अनुसार शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत भारतीय सैनिकों के मुकाबले अधिकतर चीनी सैनिक शहरी इलाकों से आते हैं। वे जमीनी हालात की दिक्कतों से वाकिफ और लंबे समय तक तैनात रहने के आदी नहीं होते।
सेवानिवृत अधिकारी ने चीन के आधिकारिक मीडिया प्लेटफॉर्म 'ग्लोबल टाइम्स' की उस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कहीं, जिसमें कहा गया था कि भारत सर्दियों में प्रभावी ढंग से लड़ाई नहीं लड़ पाएगा।
महाजन ने कहा, ''यह घमंड का जीता जागता उदाहरण है। भारतीय सेना सर्दी में भी पूर्वी लद्दाख में आर-पार की जंग लड़ने के लिये पूरी तरह तैयार है।''
उन्होंने कहा, ''भारत एक शांतिप्रिय देश है और पड़ोसियों से अच्छे संबंध रखना चाहता है। भारत हमेशा संवाद के जरिये मुद्दों के समाधान को तरजीह देता है। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद हल करने को लेकर बातचीत जारी है। जहां तक सेना की बात है, तो वह लंबे गतिरोध के लिये तैयार है।''
उन्होंने कहा कि लद्दाख में ऊंचे से भी बहुत अधिक ऊंचे स्थान हैं। नवंबर के बाद यहां 40 फुट तक बर्फ जम जाती है।
महाजन ने कहा, ''इसके अलावा, तापमान शून्य से नीचे 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाना आम बात है। शीतलहर सैनिकों के लिये और भी ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर देती हैं। बर्फबारी के चलते सड़कें बंद हो जाती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद भारत के लिये जो सबसे अच्छी बात है, वो यह है कि भारतीय सैनिकों के पास सर्दी में युद्ध लड़ने का बेमिसाल अनुभव है और वे कम समय में भी जंग के लिये खुद को मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार कर सकते हैं।''
उन्होंने कहा कि ये सभी तथ्य तो दुनिया जानती है, लेकिन सेना की संचालन क्षमता के बारे में शायद ही कोई जानता हो।
पूर्व अधिकारी ने कहा कि यहां यह बताना बहुत जरूरी है कि सेना को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का भी अनुभव है, जहां चीन से लगी सीमा के मुकाबले हालत बहुत मुश्किल होते हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)