देश की खबरें | भारत चीन के साथ सैन्य वार्ता में सैनिकों की पूरी तरह से जल्द वापसी पर जोर देगा
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर भारत सोमवार को चीन के साथ होने वाली उच्च-स्तरीय सैन्य वार्ता के सातवें दौर में पूर्वी लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से चीन द्वारा सैनिकों की पूरी तरह से जल्द वापसी पर जोर देगा। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की ओर चुशूल में दोपहर 12 बजे वार्ता शुरू होगी।

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सूत्रों ने बताया कि वार्ता का एजेंडा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के लिए एक रूपरेखा तैयार करना होगा।

चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) के शीर्ष मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में शुक्रवार को हालात की समीक्षा की थी और सोमवार को होने वाली वार्ता में उठाये जाने वाले प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श किया था।

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सीएसजी में विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत के अलावा तीनों सेना प्रमुख शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया कि भारत पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर कई रणनीतिक ठिकानों से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए चीन की किसी भी मांग का पुरजोर तरीके से विरोध करेगा।

भारत का मानना है कि टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक साथ शुरू हो।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘भारत टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की पूरी तरह से वापसी पर जोर देगा।’’

वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारतीय सेना की लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे और इसमें लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव और अन्य शामिल होंगे।

दोनों पक्षों ने 21 सितंबर को सैन्य वार्ता के पिछले दौर के बाद कुछ फैसलों की घोषणा की थी जिनमें अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिकों को नहीं भेजना, एकपक्षीय तरीके से जमीनी हालात को बदलने से बचना और चीजों को और जटिल बनाने वाली कार्रवाइयों से बचना शामिल है।

उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 10 सितम्बर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से अलग अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी।

दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी पांच सूत्री सहमति के क्रियान्वयन के तरीकों पर बैठक के दौरान चर्चा की गई थी।

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