नयी दिल्ली, नौ नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि दिल्ली के उपराज्यपाल 1,241 बिस्तरों वाले इंदिरा गांधी अस्पताल में एक समर्पित कोविड-19 सुविधा केंद्र के मामले को देखेंगे और इसमें अतिरिक्त कर्मचारियों की स्वीकृति पर त्वरित निर्णय करेंगे ताकि इसका कामकाज प्रभावित नहीं हो ।
उच्च न्यायालय ने मामले में प्रगति की जानकारी प्रदान करने के लिए सुनवाई के लिए इसे अगले साल एक फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद करते हैं कि उपराज्यपाल अस्पताल की आवश्यकता को देखते हुए जल्द से जल्द निर्णय लेने के लिए इस पर गौर करेंगे ताकि कामकाज में किसी प्रकार की बाधा न आये ।’’
पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली सरकार पहले अदालत के समक्ष रखी गयी परियोजना को पूरा करने की समय सीमा पर टिके रहने का प्रयास कर रही है। पीठ ने यह भी कहा कि सरकार को अस्पताल में सुपर स्पेशियलिटी सुविधाओं को जुलाई के बजाय अगले साल मार्च तक चालू करने का प्रयास करना चाहिए।
दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि 3,059 पदों में से, उपराज्यपाल ने 1,204 पदों के लिए कर्मचारियों की मंजूरी दे दी है तथा 1,855 और पदों के लिए उनके पास एक नया प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि वार्डों में 1,241 बिस्तरों को शुरू कर दिया गया है और सिविल इलेक्ट्रिकल का काम भी पूरा कर लिया गया है और उन बिस्तरों के लिए ऑक्सीजन पाइपलाइन लगाने का कार्य किया गया है, जिन्हें अक्टूबर तक पूरा किया जाना था ।
उच्च न्यायालय अधिवक्ता वाई पी सिंह के माध्यम से द्वारका अदालत बार एसोसिएशन की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें द्वारका में इंदिरा गांधी अस्पताल को चालू करने की मांग की गई थी, जो पिछले आठ वर्षों से निर्माणाधीन है और इसका काम अब समाप्त होने की ओर है।
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