शिमला, 11 जनवरी हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य में पिछले एक दशक में मादक पदार्थों से जुड़े मामलों में 340 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और 2012 में इसकी संख्या 500 थी, जो 2023 में बढ़कर 2200 हो गई।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार की रोकथाम (पीआईटी-एनडीपीएस) अधिनियम पहली बार लागू किया गया है।
यहां जारी एक बयान में कहा गया कि शनिवार को नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में ‘मादक पदार्थों की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा’ पर क्षेत्रीय सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शिरकत करते हुए उन्होंने मादक पदार्थों के मामलों के बढ़ते संकट से निपटने के लिए हिमाचल प्रदेश की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हेरोइन से जुड़े मामले दोगुने हो गए हैं, यहां 2020 में इसके 29 प्रतिशत मामले थे जो 2024 में बढ़कर 50 प्रतिशत हो गए है। उन्होंने कहा कि राज्य विधानमंडल ने एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 37 में संशोधन किया है, ताकि कानूनी खामियों को दूर किया जा सके।
उन्होंने बताया कि ‘पीआईटी-एनडीपीएस’ अधिनियम पहली बार लागू किया गया। यह अधिनियम मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल बार-बार अपराध करने वाले अपराधियों को हिरासत में लेने में उपयोगी है।
कांगड़ा जिले में जून 2024 को एक आरोपी पुनीत महाजन को (पीआईटी एनडीपीएस) अधिनियम की धारा 3(1) के तहत तीन महीने की निवारक पुलिस हिरासत में रखने का आदेश दिया गया था। पुनीत पर एनडीपीएस अधिनियम के तहत कई मामले दर्ज थे और उसे पहले भी अलग-अलग मामलों में पांच बार गिरफ्तार किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने पिछले तीन वर्षों में अवैध रूप से अर्जित 16 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। उन्होंने कहा, ‘‘मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों के लिए समर्पित एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) भी स्थापित किया जा रहा है, जिसके पास विशेष संसाधन, स्वायत्तता और समर्पित पुलिस थाने होंगे, ताकि मादक पदार्थों के नेटवर्क के खिलाफ अभियान तेज किया जा सके।’’
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