नयी दिल्ली, 23 अक्टूबर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में एक दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी के तत्कालीन सेल्समैन फैजान खान को दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जमानत दे दी। सेल्समैन पर जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र को फर्जी दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड बेचने का आरोप है।
अदालत ने कहा कि पुलिस यह दर्शाने में नाकाम रही कि आरोपी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन को आयोजित करने की साजिश का हिस्सा रहा।
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यह आरोप लगाया गया कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर ली गई सिम का इस्तेमाल सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने के लिए किया गया और पुलिस ने सेल्समैन के खिलाफ आतंकवादी-रोधी कानून, यूएपीए लगाया था।
हालांकि, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पर कोई आरोप नहीं है कि वह किसी भी तरह की आतंकी वित्तपोषण या ऐसी अन्य सहायक गतिविधियों में लिप्त है।
राहत प्रदान करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि जमानत देने के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंध तत्काल मामले में लागू नहीं होगा क्योंकि जांच एजेंसी ने यह नहीं दिखाया है कि आरोपी सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन आयोजित करने के लिए किसी भी साजिश का हिस्सा था।
पुलिस ने 29 जुलाई को फैजान को गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ यूएपीए, आईपीसी, शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था।
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