जयपुर: कोरोना वायरस के खिलाफ पूरा राजस्थान (Rajasthan) इस वक्त अभूतपूर्व जंग लड़ रहा है. हालांकि बीतते दिन के साथ राज्य में जानलेवा वायरस का संक्रमण थोड़ा धीमा पड़ा है. इसका श्रेय राज्य की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार को जाता है. 100 वर्षो में दुनिया के सामने आई पहली महामारी के खिलाफ गहलोत सरकार द्वारा समय पर तेजी से उठाये गए कदम संक्रमितों की संख्या को काबू करने में अहम साबित हो रहे है. कोविड-19 संक्रमित मामलें आने से पहले ही गहलोत सरकार इसकी रोकथाम के लिए सजग हो गई थी. प्रदेश की समस्त नगरीय निकाय सफाई व्यवस्था, सोडियम हाईपोक्लोराईड के छिड़काव, चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त अन्य आईसोलेशन स्थलों के चिन्हीकरण तथा बचाव के अन्य उपायों के बारे में प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया था.
राजस्थान में बीते कुछ दिनों से संक्रमितों का आंकड़ा 1800 के करीब है. राज्य में अभी कोरोना के 18 हजार से अधिक सक्रीय मामले है. जबकि अब तक 1.80 लाख से अधिक कोविड रोगी स्वास्थ्य हुए है. आंकड़ों पर गौर करे तो राजस्थान में बीते कुछ हफ्तों में गंभीर रोगियों की तादात कम हुयी है. परिणामस्वरूप राज्य के अस्पतालों में ऑक्सीजन, आईसीयू तथा वेंटिलेटर की जरुरत वाले संक्रमित तेजी से घटे है. गहलोत सरकार इस सुखद संकेत के बावजूद कोई भी ढिलाई नहीं बरत रही है और भविष्य में संक्रमण के बढ़ने की स्थिति से निपटने के लिए तैयारी में जुटी है. राजस्थान में कोरोना वायरस के संक्रमण से 14 और मौत,1815 नये मामले सामने आए
इस हफ्ते की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कहा था कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार अभी थोड़ी धीमी हुई है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आमजन कोरोना के प्रति लापरवाही दिखाने लगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह का सहयोग आमजन ने पिछले दिनों में दिखाया है ऎसा ही अनुशासन और समझदारी आने वाले दिनों में भी दिखाएंगे तो संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि सर्दी को देखते हुए नवंबर माह में संक्रमितों की तादात में इजाफा भी हो सकता है. जब तक कोई दवा ना आ जाए केवल और केवल मास्क ही वैक्सीन है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दिया गया नारा ‘नो मास्क-नो एंट्री‘ अब जनता की आवाज बन गया है. इसकी अहमियत लोग अब समझने लगे हैं. कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी में मास्क की अहम भूमिका भी दिख रही है. डॉ. शर्मा ने कहा कि आज के दौर में केवल और केवल सावधानी से ही कोरोना को हराया जा सकता है.
रैपिड रिस्पांस टीम का गठन
एक समय ऐसा भी था जब राजस्थान के कई हिस्से कोरोना वायरस महामारी की चपेट में तेजी से आ रहे थे. तब गहलोत सरकार ने कोरोना के प्रति सजगता और सतर्कता दिखाते हुए कड़े निर्णय लिए और जनता के प्राणों की रक्षा की. मार्च के पहले हफ्ते में राजस्थान में एक इतालवी पर्यटक में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी. इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने राज्यभर में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश जारी कर दिए थे. तब शर्मा ने वायरस के नियंत्रण के लिए मेडिकल एजुकेशन और स्वास्थ्य विभाग की रैपिड रिस्पांस टीम का तत्काल गठन करने का आदेश दिया था.
दो महीनों में 18 लाख से अधिक लोग क्वारंटाइन
राज्य में बढ़ते मामलों को देखते हुए 21 मार्च को ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में 31 मार्च तक लाकडाउन लगा दिया. सरकार ने राज्य में हर एक कोरोना रोगी की ट्रेसिंग और उनके संपर्क में आने वालों की स्क्रीनिंग करवाई. जिस वजह से संक्रमण के चैन को तोड़ने में काफी हद तक मदद मिली. मई महीने के अंत तक राजस्थान ने 18 लाख से अधिक लोगों को क्वारंटाइन किया. जिनमें 16 लाख अन्य राज्यों और विदेशों से आए प्रवासी थे.
जबकि 14 मार्च को ही राजस्थान सरकार ने घातक वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सभी स्कूलों, कॉलेजों, कोचिंग सेंटरों, व्यायामशालाओं, सिनेमाघरों को बंद करने का निर्णय लिया. हालांकि, लोगों की सहूलियत के लिए मेडिकल और नर्सिंग कॉलेज खुले रखे. राज्य सरकार ने यह कदम तब उठाया, जब इटली के दो नागरिकों सहित तीन कोरोनो वायरस पॉजिटिव मिले थे. तब तक कुल तीन लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी, और लक्षण के कारण 370 नमूनों का परीक्षण करवाया गया था.
6 जून तक राजस्थान में कोविड-19 के मरीजों की संख्या 10 हजार का आंकड़ा पार कर गई थी. इसके साथ ही राजस्थान महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और गुजरात के बाद 10 हजार का आंकड़ा पार करने वाला देश का पांचवा राज्य बन गया था. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के पहले ही 21 मार्च तक राजस्थान का भीलवाड़ा कोरोना हॉट्सपॉट बन गया था. तब छह नए पॉजिटिव मामलों के साथ इस क्षेत्र में कुल 11 मरीजों की पुष्टि हुई.
सख्त लॉकडाउन
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने और धारा 144 का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भी राज्य सरकार ने कड़ा एक्शन लिया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लॉकडाउन के दौरान किसी भी प्रकार के अफवाहों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं करने की चेतावनी देकर अधिकारीयों को सचेत कर दिया था. साथ ही उन्होंने जरुरत पड़ने पर जिला कलेक्टर को सेना, अर्धसैनिक बल, होमगार्ड और सीविल डिफेंस की मदद लेने की अनुमति दी.
उधर, राज्य के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने भी जिला कलेक्टरों से लगातार स्थिति का हाल जाना और सरकार के फैसले को प्रभावी तरीके से लागू करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. राज्य और जिला स्तर पर कोरोना के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किये गए.
लॉकडाउन में भूखों का भरा पेट
वैश्विक महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से लड़ाई लड़ने के दौरान राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग द्वारा जरुरतमंदों तक राहत पहुंचाई और अनेक प्रभावशाली कदम उठाए. लॉकडाउन की स्थिति में शहरी क्षेत्रों में गरीब लोगों के लिए निराश्रित, जरूरतमंदों को 'मुख्यमंत्री भोजन योजना' के तहत 2 अप्रैल तक प्रदेश में 32,37,430 फूड पैकेट्स का वितरण किया. लॉकडाउन में आम नागरिकों तक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उठाया.
कोविड-19 टेस्ट शुल्क किया आधा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह स्पष्ट किया है कि सरकार कोविड मरीजों से अधिक भुगतान लिए जाने जैसे किसी भी तरह का शोषण बर्दाश्त नहीं करेगी. इसी के तहत राजस्थान सरकार ने निजी लैब में कोविड-19 टेस्ट शुल्क को 3500-4500 रुपये से घटाकर 2,200 रुपये कर दिया है. जबकि वेंटिलेटर वाले बिस्तर का चार्ज 4,000 रुपये कर दिया है. साथ यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि निजी अस्पताल अत्यधिक शुल्क न लें और आदेश का उल्लंघन करने पर महामारी अध्यादेश सहित कानून की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए.
प्रवासियों को पहुंचाया घर
राजस्थान सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुबोध अग्रवाल की निगरानी में एक टीम का गठन कर फंसे हुए मजदूरों की घर वापसी करावाई. प्रवासियों को बिना किसी परेशानी के विशेष ट्रेनों की मदद से अपने-अपने राज्य भेजा. मई के पहले हफ्ते तक लगभग एक लाख प्रवासी मजदूरों को कई घरेलू राज्यों में ले जाया गया. राजस्थान सरकार द्वारा उन्हें भोजन, मास्क, सैनिटाइजर मुहैया करवाया गया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व्यक्तिगत रूप से इस मामले पर अपनी नजर रख रहे थे. जबकि कोटा में फंसे हजारों छात्रों को उनके घर पहुंचने में मदद की.
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उठाए कदम
राजस्थान सरकार ने अप्रैल महीने में ही कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के साथ-साथ राज्य की अर्थव्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए कुछ प्रभावशाली उपायों की घोषणा की. लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से हटाने के बाद कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले विशिष्ट कदमों को लेकर प्रयास तेज किये. राजस्थान सरकार ने वेबिनार से 30 यूरोपियन निवेशकों से वार्तालाप किया. राजस्थान उद्योग विभाग जरूरतमंद माइक्रो-स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज के लिए वित्तीय उत्पादों तक पहुंच बढ़ाने और अनुकूल माहौल बनाने के लिए भी काम किया. इसके लिए राजस्थान उद्योग विभाग और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने साथ मिलकर परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) की स्थापना के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए.
लॉकडाउन का चौथा चरण 18 मई से शुरू हुआ, लेकिन राजस्थान में राज्य सरकार ने कारोबार को पटरी पर लाने के लिए इससे पहले ही छूट का दायरा बढ़ा दिया. राज्य में रेस्तरां, मिठाई की दुकानें, हार्डवेयर और निर्माण दुकानें, एसी-कूलर, टीवी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक मरम्मत और ऑटोमोबाइल कारोबार खोलने की अनुमति दी. स्कूलों, कॉलेजों और मॉल के कार्यालय को फिर से खोलने की अनुमति दे दी. जिसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य किया. जबकि पार्क, कैब और ऑटो को संचालित करने की अनुमति दी. हालांकि कर्फ्यू वाले क्षेत्रों में प्रतिबंध नहीं हटाया.
गरीबों को दिया सराहा
गरीबों और निराश्रितों के लिए 3,000 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की. एक सप्ताह से भी कम समय में 78 लाख से अधिक लोगों को दो महीने की सामाजिक सुरक्षा पेंशन का भुगतान किया. जबकि बीएलपी, स्टेट बीपीएल और एनएफएसए के तहत आने वाले परिवारों को दो महीने के लिए प्रति व्यक्ति 10 किलो गेहूं प्रदान करने का निर्णय लिया. इन सभी पहल के अलावा 33 लाख गरीब लोगों को 2,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की.
कोरोना योद्धाओं का रखा ध्यान
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में कोरोनो वायरस के कारण किसी भी सरकारी कर्मचारी के मृत्यु पर उसके परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की. राज्य सरकार ने अनुबंध के आधार पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी इस वित्तीय सहायता योजना के तहत लाभ देने का फैसला किया. पटवारियों, ग्राम सेवकों, कांस्टेबलों, सफाई कर्मचारियों सहित संविदा कर्मचारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और होमगार्ड, नागरिक सुरक्षा, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकतार्ओं की तरह मानदेय पर कार्यरत लोगों को भी लाभार्थियों में शामिल किया गया.
आर्थिक चुनौती से निपटने के लिए CM, मंत्रियों के वेतन में कटौती
राजस्थान के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और कर्मचारियों के वेतन में कटौती का निर्णय लिया गया. सितंबर महीने से राजस्थान सरकार ने हर महीने मुख्यमंत्री, राज्य के मंत्रियों, विधायकों, अखिल भारतीय राज्य सेवा के अधिकारियों और अन्य राज्य कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा काटने का फैसला किया. यह रकम मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा होगा, जिसका इस्तेमाल कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों की मदद के लिए किया जाएगा.