रांची, 13 अगस्त : झारखंड उच्च न्यायालय ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की संदिग्ध मौत के मामले में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अब तक की जांच पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि एजेंसी अपनी जांच ‘पेशेवर’ तरीके से करे क्योंकि मामला बहुत गंभीर है और उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की जांच की निगरानी की जिम्मेदारी उसे सौंपी है. झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन व न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की खंडपीठ में धनबाद के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले की बृहस्पतिवार को सुनवाई की. सुनवाई के दौरान पीठ ने सीबीआई की अब तक की जांच से असंतुष्टि जताते हुए जांच में तेजी लाने और मामले के सभी पहलुओं पर गौर करने को कहा. धनबाद अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश उत्तम आनंद 28 जुलाई की सुबह रणधीर वर्मा चौक पर काफी चौड़ी सड़क के एक तरफ चहलकदमी कर रहे थे, तभी एक भारी ऑटो रिक्शा उनकी ओर मुड़ा, उन्हें पीछे से टक्कर मारी और मौके से भाग गया. इस बाबत ऑटो चालक लखन वर्मा एवं उसके सहयोगी राहुल वर्मा को गिरफ्तार किया गया है.
खंड पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को मामले की निगरानी करने की जिम्मेदारी उसे सौंपी है, इसलिए पीठ इस मामले के हर पहलू की जांच कराएगा और उसे भरोसा है कि सीबीआई भी पीठ की अपेक्षा पर खरा उतरेगी और सीबीआई को मामले की ‘पेशेवर’ जांच करनी होगी. खंड पीठ ने राज्य सरकार को न्यायाधीशों की सुरक्षा की समीक्षा कर संवेदनशील मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायाधीशों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख पर सीबीआई को मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया. साथ ही मामले के अनुसंधान अधिकारी को भी न्यायालय में मौजूद रहने का निर्देश दिया. इस मामले में अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी.
इससे पूर्व सुनवाई के दौरान सीबीआई की प्रगति रिपोर्ट देख पीठ ने जांच पदाधिकारी से कई सवाल पूछे जिनका जांच अधिकारी सटीक जवाब नहीं दे सके. खंड पीठ ने महाधिवक्ता से पूछा कि इस घटना के बाद न्यायाधीशों को सुरक्षा दी गई है या नहीं? इस पर महाधिवक्ता राजीव रंजन ने पीठ को बताया कि धनबाद के न्यायाधीशों को सुरक्षा दी गयी है. उनके आवास पर भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.