देश की खबरें | धर्म संसद में नफरती भाषण मामले में न्यायालय ने उत्तराखंड, दिल्ली से पुलिस कार्रवाई के बारे में पूछा

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तराखंड और दिल्ली की सरकारों से पूछा कि पिछले साल दोनों जगहों पर आयोजित धर्म संसदों में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले भाषण दिये जाने के मामले में पुलिस ने क्या कार्रवाई की है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया।

तुषार गांधी ने अपनी याचिका में अनुरोध किया था कि नफरत वाले भाषणों और लोगों की पीट-पीटकर हत्या के मामलों में तय दिशानिर्देशों के अनुसार उपरोक्त विषय में कोई कदम नहीं उठाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना संबंधी कार्रवाई की जाए।

पीठ ने कहा कि इस स्तर पर वह अवमानना याचिका पर कोई नोटिस नहीं जारी कर रही और उत्तराखंड तथा दिल्ली से केवल इस बात पर जवाब मांग रही है कि वहां आयोजित धर्म संसदों में नफरत वाले भाषणों के संबंध में क्या कार्रवाई की गयी।

पीठ ने कहा कि उत्तराखंड और दिल्ली दोनों शपथपत्र दायर करेंगे और तथ्यात्मक स्थिति से एवं की गयी कार्रवाई से अवगत कराएंगे।

पीठ ने यह भी कहा कि नवनियुक्त अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने हाल ही में कार्यभार संभाला है और इस मुद्दे को देखने में कुछ समय लग सकता है।

तुषार की ओर से अधिवक्ता शादान फरसत ने कहा कि वह उत्तराखंड और दिल्ली के स्थायी वकीलों को अवमानना याचिका की प्रति सौंपेंगे।

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