नयी दिल्ली, 22 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियुक्त राज्य के छह मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की अयोग्यता कार्यवाही पर शुक्रवार को रोक लगा दी।
न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस निर्देश पर रोक लगा दी जिसमें राज्य में मुख्य संसदीय सचिवों और संसदीय सचिवों की नियुक्ति के अधिकार को असंवैधानिक घोषित किया गया था।
शीर्ष अदालत द्वारा यह रोक लगाये जाने के बाद, हालांकि ये छह विधायक सीपीएस के पद पर नहीं रहेंगे, लेकिन उन्हें विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा।
पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के 13 नवंबर के पूरे फैसले पर रोक नहीं लगा रही है, बल्कि फैसले के केवल पैराग्राफ 50 पर रोक लगा रही है, जिसने विधायकों की अयोग्यता कार्यवाही शुरू करने का मार्ग प्रशस्त किया था।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव के रूप में छह विधायकों की नियुक्ति को रद्द करने के हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में, अगली सुनवाई तक कोई कार्यवाही नहीं होगी।
न्यायालय ने साथ ही यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार कोई और नियुक्ति नहीं करेगी क्योंकि यह कानून के विपरीत होगा।
शीर्ष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता कल्पना देवी को भी नोटिस जारी किया। कल्पना ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायालय ने उनसे दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा और मामले की सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए स्थगित कर दी।
न्यायालय ने इस मामले को इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत में लंबित याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया है।
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