नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि स्वीडन की युवा जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) की किसानों के विरोध प्रदर्शनों को लेकर हाल ही टिप्पणी भारत और स्वीडन के बीच कोई द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है और दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की शुक्रवार को हुई डिजिटल बैठक में यह मुद्दा नहीं उठा. किसानों का विरोध प्रदर्शन भारत का आंतरिक मामला, उसे ही सुलझाना है: ब्रिटिश उच्चायुक्त
विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) विकास स्वरूप ने विशेष मीडिया वार्ता में यह बात कही. उनसे पूछा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन के बीच डिजिटल माध्यम से आयोजित शिखर वार्ता में क्या ग्रेटा थनबर्ग की टिप्पणी का मुद्दा उठा.
स्वरूप ने कहा, ‘‘ इसका जवाब है..‘नहीं. यह भारत और स्वीडन के बीच द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है.’’ गौरतलब है कि पिछले महीने ग्रेटा थनवर्ग ने अपने ट्वीट में कहा था, ‘‘ हम भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के साथ एकजुटता से खड़े हैं.’’
No, this is not a bilateral issue between India and Sweden: Vikas Swarup, Secretary West, MEA on being asked 'was the issue of Greta Thunberg's comments on farmers' protest was taken up during India-Sweden virtual summit' pic.twitter.com/sNNzoNcQzP
— ANI (@ANI) March 5, 2021
इसके बाद उन्होंने इसमें मदद करने वालों के लिये एक टूलकिट साझा किया था. इसके साथ ही पॉप स्टार रिहाना एवं कई विदेशी हस्तियों ने किसानों के प्रदर्शनों के समर्थन में ट्वीट किया था. टूलकिट मामला एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया और दिल्ली पुलिस ने बाद में भारत की छवि को कथित तौर पर खराब करने का प्रयास करने को लेकर कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
पिछले सप्ताह विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि कुछ निहित स्वार्थी तत्व प्रदर्शनों को लेकर अपना एजेंडा थोपने का प्रयास कर रहे हैं और किसानों के एक छोटे समूह को कृषि कानूनों को लेकर आपत्ति है जबकि इन कानूनों को पूरी चर्चा के बाद संसद ने पारित किया है.
गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के काफी संख्या में किसान तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की भी मांग कर रहे हैं.
वहीं, सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है कि वह एमएसपी और मंडी व्यवस्था को समाप्त करना चाहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई बार किसानों को आश्वस्त किया है कि एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी.
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