जरुरी जानकारी | सरकार एथनॉल उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है: गडकरी

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को एथनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त चीनी स्टॉक के स्थानांतरण की जरूरत पर जोर दिया। इसकी वजह यह है कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की व्यवस्था के तहत दिसंबर, 2023 के बाद से चीनी के निर्यात पर सब्सिडी का प्रावधान नहीं होगा।

उद्योग मंडल इस्मा द्वारा आयोजित वैकल्पिक ईंधन पर एक वेबिनार को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि सरकार एथनॉल विनिर्माण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह देश में उत्पादित सभी एथनॉल की खरीद करेगी।

एथनॉल की आपूर्ति में वृद्धि के साथ, गडकरी ने कहा कि सरकार देश में फ्लेक्स-ईंधन इंजन वाले वाहनों को पेश करने की योजना बना रही है।

उन्होंने कहा कि 100 प्रतिशत बायो-एथनॉल पर फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की पेशकश के साथ एथनॉल की मांग तुरंत 4 से 5 गुना बढ़ जाएगी।

मंत्री ने चीनी मिलों को अपने स्वयं के एथनॉल पंप स्थापित करने के लिए भी कहा, जिन्हें सरकार द्वारा अनुमति दी जा रही है।

गडकरी ने कहा कि सरकार चीनी मिलों को अधिशेष चीनी स्टॉक को समाप्त करने के लिए 3,000 से 6,000 करोड़ रुपये की निर्यात सब्सिडी प्रदान कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘डब्ल्यूटीओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं के कारण, ये सब्सिडी दिसंबर, 2023 के बाद स्वीकार्य नहीं होगी।’’

इस समस्या के समाधान के रूप में, गडकरी ने सुझाव दिया कि बी-हेवी मोलासेस में 15-20 प्रतिशत चीनी मिलाकर अतिरिक्त चीनी स्टॉक को एथनॉल उत्पादन की ओर मोड़ा जा सकता है।

पेट्रोलियम ईंधन के साथ 20 प्रतिशत एथनॉल के मिश्रण का स्तर प्राप्त करने के लिए देश को वर्ष 2025 तक लगभग 10 अरब लीटर एथनॉल की आवश्यकता होगी। मौजूदा समय में, चीनी उद्योग देश में मिश्रिण किये जाने वाले ईंधन के रूप में एथनॉल की 90 प्रतिशत मांग को पूरा करने में अपना योगदान देता है।

उपलब्ध संसाधनों के साथ एथनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए गडकरी ने बी-हेवी मोलासेस में 15-20 प्रतिशत चीनी मिलाने का सुझाव दिया।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)