मुंबई, 10 अक्टूबर रतन टाटा के लंबे समय से सहयोगी रहे शांतनु नायडू ने उद्योगपति को अंतिम विदाई देते हुए उन्हें अपने जीवन की रोशनी बताया।
आरएनटी कार्यालय में महाप्रबंधक नायडू ने तड़के एक पेशेवर नेटवर्किंग साइट पर लिखा, ‘‘ इस दोस्ती में जो था ... इसने मेरे अंदर अब जो खालीपन ला दिया है, मैं सारा जीवन इसे भरने की कोशिश करूंगा।’’
नायडू को सुबह सभी ने येज्दी मोटरसाइकिल पर सवार होकर टाटा के घर से बाहर निकलते और उनके पार्थिव शरीर को ले जा रहे ट्रक के आगे चलते देखा।
नायडू ने एक तस्वीर भी साझा की जिसमें दोनों एक चार्टर्ड विमान में बैठे नजर आ रहे हैं। उन्होंने लिखा, ‘‘ प्यार की कीमत चुकाने का जरिया दुख है। अलविदा, मेरी जीवन की रोशनी।’’
यह कुत्तों के प्रति आपसी प्रेम और चिंता ही थी जो टाटा और नायडू (पुणे निवासी नायडू, जो टाटा समूह की एक कंपनी में काम कर रहा था) को करीब ले आई।
नायडू ने एक आवारा कुत्ते की मौत से परेशान होकर एक ‘रिफ्लेक्टिव कॉलर’ बनाया गया था जिससे वाहन चालक आवारा कुत्तों को जल्दी पहचान सकें। उन्होंने टाटा को इस बारे में पत्र लिखा। टाटा ने इस पर केवल स्वीकृति ही नहीं दी, बल्कि इससे कहीं अधिक किया। नायडू को इस उद्यम के लिए टाटा से निवेश और एक स्थायी बांड प्राप्त हुआ।
इसके बाद नायडू अपनी मास्टर डिग्री की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए और वापस आने पर उन्हें आरएनटी के कार्यालय में नौकरी मिल गई, जो टाटा संस के चेयरमैन के रूप में उनके कार्यकाल के बाद उद्योगपति का निजी कार्यालय था।
टाटा के लिए कई मामलों का प्रबंधन करने की अपनी दैनिक नौकरी के अलावा, नायडू सामाजिक रूप से प्रासंगिक मंच स्थापित करते रहे। उनके उदार बॉस अक्सर इन विचारों का समर्थन करते थे, उनमें से एक था ‘गुडफेलो’ जो 2022 में शुरू की गई वरिष्ठ नागरिकों के लिए सदस्यता-आधारित साहचर्य सेवा है।
स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बावजूद रतन टाटा उस स्टार्टअप को पेश करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इसमें उन्होंने अज्ञात राशि का निवेश किया है।
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