रांची, एक अक्टूबर रांची में इस साल दुर्गा पूजा के आयोजकों ने अपने पंडालों को अलग-अलग अंदाज में पेश किया है जिसमें परमाणु धमाके से लेकर छऊ नृत्य तथा सांस्कृतिक ढांचों की झलक देखने को मिलेगी।
कोविड-19 संबंधी पाबंदियों के कारण दो साल बाद सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा की अनुमति मिलने पर रांची में आयोजकों ने अपने पंडाल तथा प्रतिमाएं विभिन्न थीम पर बनाए हैं।
मुख्यत: पड़ोसी पश्चिम बंगाल राज्य के कलाकारों को प्रतिमाओं को अंतिम रूप देते हुए देखा गया क्योंकि शनिवार को पूजा पंडाल आम जनता के लिए खोल दिए जाएंगे।
झारखंड की संस्कृति और परंपरा तथा धार्मिक संरचनाओं पर आधारित पंडाल भी बनाए गए हैं।
रांची रेलवे स्टेशन दुर्गा पूजा समिति ने परमाणु परीक्षणों से पर्यावरण को पहुंचे नुकसान का संदेश देने के लिए ‘मशरूम क्लाउड’ का चित्रण किया है।
‘मशरूम क्लाउड’ तब बनता है जब किसी धमाके से बहुत गर्म गैस का गुबार निकलता है।
पंडाल में पर्यावरण अनुकूल सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और प्रकृति के रंग दिखाने के लिए पंडाल के सामने इंद्रधनुष के आकार का डिजाइन बनाया गया है।
समिति के अध्यक्ष मुनचुन राय ने कहा, ‘‘हमारे पंडाल का विषय इस साल पर्यावरण संरक्षण पर है। हमने यह दिखाने के लिए मशरूम क्लाउड बनाया है कि परमाणु खतरे से प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। हमने इस अवधारणा के अनुरूप पंडाल के निर्माण में करीब 40 लाख रुपये खर्च किए हैं।’’
भव्य पूजा पंडालों के लिए पहचाने जाने वाले बकरी बाजार ने पश्चिम बंगाल के मायापुर में निर्माणाधीन इस्कॉन मंदिर की एक प्रतिकृति का निर्माण किया है। इस पंडाल की ऊंचाई करीब 90 फुट है।
बकरी बाजार पूजा की आयोजक समिति ‘भारतीय युवक संघ’ के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर जिले से कलाकार बुलाए गए और उन्होंने दो महीनों की कड़ी मेहनत के बाद पंडाल बनाया।’’
उन्हें पंडाल में बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है।
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