नयी दिल्ली, 7 जुलाई : पिछले साढे तीन दशक में सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने सौरव गांगुली को विभिन्न अवतारों में देखा है ..एक परिपक्व किशोर, बेहतरीन भारतीय क्रिकेटर, सफल कप्तान और व्यस्त प्रशासक . लेकिन इस चैम्पियन बल्लेबाज के लिये वह इन सबसे ऊपर एक बेहद करीबी दोस्त है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भी दोनों की दोस्ती उतनी ही गहरी है . बीसीसीआई अध्यक्ष गांगुली के 50वें जन्मदिन से पहले अपने ‘सलामी जोड़ीदार’ के साथ पुरानी यादों को ताजा करते हुए तेंदुलकर ने कई पहलुओं पर पीटीआई से बात की . यह पूछने पर कि बतौर कप्तान करीब पांच साल के कार्यकाल में गांगुली ने उन्हें कितनी आजादी दी, तेंदुलकर ने कहा ,‘‘ सौरव महान कप्तान था . उसे पता था कि संतुलन कैसे बनाना है . खिलाड़ियों को कितनी आजादी देनी है और कितनी जिम्मेदारी .’’
उन्होंने कहा ,‘‘ जब उसने कमान संभाली, तब भारतीय क्रिकेट बदलाव के दौर से गुजर रहा था . हमें ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत थी जो भारतीय क्रिकेट को आगे ले जा सके .’’ उन्होंने कहा ,‘‘ उस समय हमें वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान, हरभजन सिंह और आशीष नेहरा जैसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी मिले . ये सभी बेहद प्रतिभाशाली थे लेकिन इन्हें कैरियर की शुरूआत में सहयोग की जरूरत थी जो सौरव ने दिया .उन्हें अपने हिसाब से खेलने की आजादी भी मिली .’’ तेंदुलकर ने बताया कि 1999 में आस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने तय कर लिया था कि उनके कप्तानी छोड़ने पर अगला कप्तान कौन होगा . उन्होंने कहा ,‘‘ कप्तानी छोड़ने से पहले भारतीय टीम के आस्ट्रेलिया दौरे पर मैने सौरव को टीम का उपकप्तान बनाने का सुझाव दिया था . मैने उसे करीब से देखा था और उसके साथ क्रिकेट खेली थी . मुझे पता था कि वह भारतीय क्रिकेट को आगे ले जा सकता है . वह अच्छा कप्तान था .’
उन्होंने कहा ,‘‘ इसके बाद सौरव ने मुड़कर नहीं देखा और उसकी उपलब्धियां हमारे सामने है .’’ दोनों के बीच बेहतरीन तालमेल का ही नतीजा था कि 26 बार शतकीय साझेदारियां की और उनमें से 21 बार पारी की शुरूआत करते हुए . तेंदुलकर ने कहा ,‘‘सौरव और मैने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की ताकि टीम मैच जीत सके . इसके आगे हमने कुछ नहीं सोचा .’’ गांगुली ने पहली बार भारत के लिये 1992 में खेला और फिर 1996 में वापसी की . उस समय मोबाइल फोन नहीं होते थे लेकिन दोनों एक दूसरे के संपर्क में रहे . तेंदुलकर ने कहा ,‘‘ 1991 के दौरे पर हम एक कमरे में रहते थे और एक दूसरे के साथ खूब मस्ती करते .हम अंडर 15 दिनों से एक दूसरे को जानते थे तो आपसी तालमेल अच्छा था . उस दौरे के बाद भी हम मिले लेकिन तब मोबाइल फोन नहीं होते थे . हम लगातार संपर्क में नहीं रहे लेकिन दोस्ती कायम थी.’’ यह भी पढ़ें : दिल्ली : गोविंदपुरी में मोटरसाइकिल सवारों ने टीसी चालक को गोली मारी, मौत
उनकी पहली मुलाकात बीसीसीआई द्वारा कानपुर में आयोजित जूनियर टूर्नामेंट में हुई थी . इसके बाद इंदौर में दिवंगत वासु परांजपे की निगरानी में हुए सालाना शिविर में दोनों ने काफी समय साथ गुजारा . तेंदुलकर ने कहा ,‘‘ इंदौर में अंडर 15 शिविर में हमने काफी समय साथ गुजारा और एक दूसरे को जाना . वहीं से हमारी दोस्ती की शुरूआत हुई .’’ उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने, जतिन परांजपे(वासु के बेटे) और केदार गोडबोले ने गांगुली के कमरे में पानी उड़ेला था . उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे याद है कि दोपहर में सौरव सो रहा था .जतिन, केदार और मैने उसके कमरे में पानी भर दिया . वह उठा तो उसे समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ . उसके सूटकेस पानी में बह रहे थे . बाद में उसे पता चला कि यह हमारी खुराफात है . हम एक दूसरे से यूं ही मजाक किया करते थे.’’