नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर मुफ्त चुनावी सौगातों और कल्याणकारी नीतियों के बीच फर्क स्पष्ट करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निर्वाचन आयोग को भेजे अपने जवाब में सुझाव दिया है कि राजनीतिक दलों को लोगों की निर्भरता बढ़ाने के बजाय मतदाताओं को सशक्त बनाने और उनकी क्षमता निर्माण पर जोर देना चाहिए।
पार्टी के एक नेता ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
ज्ञात हो कि मुफ्त चुनावी सौगातों को लेकर निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष आदर्श चुनाव संहिता में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा है। आयोग ने इसके तहत चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी देने को लेकर राजनीतिक दलों की राय मांगी थी।
आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को लिखे गए एक पत्र में उनसे 19 अक्टूबर तक उनके विचार साझा करने को कहा था।
भाजपा ने अपने जवाब में कहा कि मुफ्त चुनावी सौगात मतदाताओं को लुभाने के लिए होती हैं जबकि कल्याणवाद एक नीति है जिससे मतदाताओं का समावेशी विकास किया जाता है।
समझा जाता है कि पार्टी को आयोग के इस विचार पर कोई आपत्ति नहीं है कि राजनीतिक दलों को अपने चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता भी सौंपनी चाहिए।
चुनाव आयोग को भेजे गए जवाब का मसौदा तैयार करने वाले नेताओं में शुमार एक नेता ने पीटीआई- को बताया, ‘‘भाजपा ने सुझाव दिया है कि राजनीतिक दलों का जोर मतदाताओं को सशक्त करने, उनकी क्षमता विकसित करने और उन्हें देश की मानव पूंजी बढ़ाने के लिए कौशल प्रदान करने पर होना चाहिए
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