नयी दिल्ली, 19 दिसंबर विदेश सचिव विक्रम मिसरी शुक्रवार को मॉरीशस की तीन दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। यह यात्रा हिंद महासागर में चागोस द्वीप समूह पर ब्रिटेन के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में हो रही है।
मिसरी द्वीपीय देश में रामगुलाम के नेतृत्व में नयी सरकार के गठन के बाद वहां की आधिकारिक यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले वरिष्ठ अधिकारी होंगे।
विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को उनकी यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि मिसरी की यात्रा दर्शाती है कि भारत मॉरीशस के साथ अपने संबंधों को कितनी प्राथमिकता देता है।
समझा जाता है कि मिसरी की पोर्ट लुइस (मॉरीशस की राजधानी) की यात्रा के दौरान चागोस द्वीप समझौते से जुड़ा मुद्दा उठ सकता है।
अक्टूबर में ब्रिटेन ने एक ऐतिहासिक समझौते के तहत आधी सदी से अधिक समय के बाद चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने की घोषणा की थी।
मॉरीशस के पिछले प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ के कार्यकाल में हुए इस समझौते के तहत ब्रिटेन चागोस द्वीप समूह पर संप्रभुता छोड़ने पर सहमत हुआ था, लेकिन वहां के सबसे बड़े द्वीप डिएगो गार्सिया पर स्थित ब्रिटिश-अमेरिकी सैन्य अड्डे पर उसका 99 साल का पट्टा बना रहेगा।
भारत ने इस समझौते का स्वागत किया था।
भारत सरकार के सूत्रों ने कहा था कि नयी दिल्ली ने ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच समझौता कराने में ‘छोटी, लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका’ निभाई थी।
डिएगो गार्सिया अमेरिका और ब्रिटेन के लिए एक प्रमुख सैन्य अड्डा है, क्योंकि इस पर अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत और लंबी दूरी के बमवर्षक विमान मौजूद हैं।
पिछले महीने प्रधानमंत्री पद संभालने वाले रामगुलाम ने मंगलवार को कहा था कि वह बातचीत फिर से शुरू कर रहे हैं, क्योंकि मौजूदा समझौते से उतना लाभ नहीं मिलेगा, जिसकी उनके देश को उम्मीद है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘विदेश सचिव विक्रम मिसरी 20 से 22 दिसंबर तक मॉरीशस की आधिकारिक यात्रा पर होंगे। यह यात्रा मॉरीशस में प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम के नेतृत्व में नयी सरकार के गठन के बाद भारत और मॉरीशस के बीच पहली उच्च स्तरीय द्विपक्षीय मुलाकात होगी।’’
रामगुलाम के नेतृत्व में चार दलों के गठबंधन ने पिछले महीने संपन्न चुनावों में भारी अंतर से जीत दर्ज की थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह यात्रा दोनों देशों के बीच नियमित उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की निरंतरता का प्रतीक है। यह भारत की ओर से
‘सागर’ दृष्टिकोण, अफ्रीका फॉरवर्ड नीति और ग्लोबल साउथ के प्रति प्रतिबद्धता के तहत मॉरीशस के साथ अपने संबंधों को दी गई प्राथमिकता को दर्शाती है।’’
भारत ने हिंद महासागर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के मकसद से लगभग नौ साल पहले ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण की परिकल्पना पेश की थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत और मॉरीशस साझा इतिहास, संस्कृति और परंपरा में निहित सदियों पुराने संबंध साझा करते हैं और इसमें कई क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।’’
उसने कहा, ‘‘यह यात्रा मॉरीशस के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी।’’
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