मुंबई, 30 जून : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बृहस्पतिवार को कहा कि मुद्रास्फीति के दबाव और भू-राजनीतिक जोखिमों से सजगतापूर्वक निपटने की जरूरत होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार की राह पर है. रिजर्व बैंक की 25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में यह आकलन पेश करने के साथ ही कहा गया है कि बैंकों के साथ-साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के पास भी ‘झटके’ झेलने के लिए पर्याप्त पूंजी बफर मौजूद है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘वैश्विक घटनाक्रम से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार की राह पर चल रही है. हालांकि, मुद्रास्फीति के दबाव, बाहरी घटनाक्रम और भू-राजनीतिक जोखिमों के चलते हालात से सावधानी से निपटने और करीबी निगरानी रखने की जरूरत है.’’ रिपोर्ट कहती है कि यूरोप में युद्ध, मुद्रास्फीति के लगातार ऊंचे स्तर पर बने रहने और कोविड-19 महामारी की कई लहरों से निपटने के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा उठाए गए मौद्रिक कदमों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था का परिदृश्य काफी अनिश्चितता से भरा हुआ है. यह भी पढ़ें : पटिलक क्लाउड रेवेन्यू 26 फीसदी बढ़कर 2022 की पहली तिमाही में 126 बिलियन डॉलर तक पहुंचा
आरबीआई की रिपोर्ट बैंकिंग क्षेत्र के बारे में कहती है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का पूंजी का जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) 16.7 प्रतिशत के नए उच्चस्तर पर पहुंच गया जबकि उनका सकल गैर-निष्पादित संपत्ति (जीएनपीए) अनुपात मार्च, 2022 में 5.9 प्रतिशत के साथ छह साल के निचले स्तर पर आ गया. रिपोर्ट के मुताबिक, ऋण जोखिम के लिए व्यापक तनाव परीक्षणों से पता चलता है कि एससीबी गंभीर तनाव परिदृश्यों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं का पालन करने में सक्षम होंगे.