देश की खबरें | अनुबंध के जरिए भर्ती ‘पीडीए’ के खिलाफ आर्थिक साजिश : अखिलेश यादव

लखनऊ, 21 नवंबर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोरखपुर नगर निगम में अनुबंध (आउटसोर्स) के जरिए तहसीलदार और कुछ अन्य पदों पर भर्ती के लिये जारी विज्ञापन को लेकर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधते हुए इसे ‘पीडीए’ (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के खिलाफ एक आर्थिक साजिश करार दिया।

गोरखपुर नगर निगम ने स्पष्ट किया कि सम्बन्धित विज्ञापन सिर्फ सेवानिवृत्त कर्मियों से संबंधित है और इसमें कुछ भी नया नहीं है।

यादव ने बृहस्पतिवार को ‘एक्स’ पर एक अखबार में प्रकाशित कथित विज्ञापन की कतरन संलग्न करते हुए कहा, ‘‘बेहतर होगा कि भाजपा पूरी की पूरी सरकार ही ‘आउटसोर्स’ कर दे तो उसका एक जगह से ही सारा कमीशन एक साथ ‘सेट’ हो जाए। ऐसा करने से भाजपा को ‘फुटकर’ में नौकरी और उसके बहाने आरक्षण को खत्म करने का महाकष्ट नहीं उठाना पड़ेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम तो हमेशा से कहते रहे हैं, आज फिर दोहरा रहे हैं, नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं।’’

सपा प्रमुख ने कहा, ‘‘आउटसोर्सिंग पीडीए के खिलाफ एक आर्थिक साजिश है। भाजपा इस प्रस्ताव को तत्काल वापस ले और नौकरी-आरक्षण का संवैधानिक हक न छीने। घोर आपत्तिजनक, घोर निंदनीय। पीडीए कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!’’

यादव ने इस टिप्पणी के साथ एक अखबार में प्रकाशित गोरखपुर नगर निगम के 18 नवंबर को जारी एक कथित विज्ञापन की कतरन संलग्न की है जिसमें अनुबंध के जरिए नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक के एक-एक और लेखपाल के पांच पदों पर भर्ती की बात कही गई है।

विज्ञापन के मुताबिक, “गोरखपुर नगर निगम में कार्य की अधिकता के कारण जनहित में निम्नलिखित पदों पर सेवानिवृत्त अधिकारियों/कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्ति की जानी है।”

विज्ञापन में तहसीलदार, नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक के एक-एक पद तथा लेखपाल के पांच पदों के लिये आगामी सात दिसंबर तक आवेदन आमंत्रित किये गये हैं।

गोरखपुर नगर निगम के आयुक्त गौरव सोगरवाल से विज्ञापन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वह विज्ञापन केवल सेवानिवृत्त कर्मियों से संबंधित है और इसमें कुछ नया नहीं है।

उन्होंने कहा, “सेवानिवृत्त अधिकारियों को अनुबंध के आधार पर भर्ती करना कोई नई बात नहीं है। विभिन्न नगर निगम और बीएचईएल और गेल जैसे संगठन वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं। उदाहरण के लिए एक सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार 2012-13 से हमारे साथ काम कर रहे हैं। यह एक मानक तरीका है और इसमें कुछ भी नया नहीं है।”

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