मंगलुरु, दो जनवरी केंद्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बृहस्पतिवार को लोगों से आग्रह किया कि वे मुफ्त सुविधाओं के लिए सरकारों पर निर्भर न रहें बल्कि खुद ही सौर ऊर्जा का उत्पादन करें।
जोशी ने यहां ‘सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ पर चर्चा के लिए उपभोक्ताओं, बिजली आपूर्ति कंपनी (ईएससीओएम) के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ एक परामर्श बैठक में भाग लिया।
जोशी ने कहा, ‘‘मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं करूंगा कि उस मुफ्त बिजली के वितरण के पीछे क्या उद्देश्य हैं, जिसका उत्पादन पर्यावरण के लिए हानिकारक ईंधन का उपयोग करके किया जाता है। लेकिन बिजली क्षेत्र में स्थिरता देश के सुरक्षित भविष्य की कुंजी बनने जा रही है।’’
जोशी केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री भी हैं।
जोशी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 फरवरी 2024 को शुरू की गई ‘सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ का उद्देश्य सभी घरों को उनकी छतों पर सौर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी देकर मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है।
उन्होंने कहा कि गैर-नवीकरणीय स्रोतों वाली मुफ्त योजनाओं के लिए किसी ना किसी को कीमत चुकानी होती है।
जोशी ने कोयला मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि जो कुछ ‘मुफ्त’ के रूप में वितरित किया जा रहा है, उसके लिए बहुत अधिक कीमत चुकाई जा रही है।
उन्होंने कहा, “मुझे आंकड़े याद हैं: 2.5 लाख टन कोयले का खनन बहुत अधिक लागत और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए किया जा रहा था, जिसे थर्मल पावर उत्पादकों तक पहुंचाया जा रहा था और थर्मल पावर के उत्पादन की प्रक्रिया में बहुत अधिक लागत शामिल थी।”
जोशी ने यह भी कहा कि सरकार भविष्य में विकास के लिए अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर विचार कर रही है। जोशी ने कहा, “ऊर्जा के इन स्रोतों में अनुसंधान और उत्पाद विकास का काम जारी है। सौर ऊर्जा प्रबंधन में भी अभूतपूर्व अनुसंधान और उत्पाद विकास का काम जारी है, जिससे सौर ऊर्जा इकाइयां 25 वर्ष की बजाय 40 वर्ष तक काम कर सकेंगी। उनकी स्थापित क्षमता भी बढ़ेगी और लागत को मांग के आधार पर तर्कसंगत बनाया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध है कि 2050 तक पृथ्वी पर गर्मी ‘चिंताजनक’ स्तर पर पहुंच जाएगी। जोशी ने कहा, “अगर हम सचेत नहीं हुए और कम ताप पैदा करने वाले विद्युत मॉड्यूल का उपयोग नहीं किया तो हम उस स्थिति तक 2030 तक भी पहुंच सकते हैं।”
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