तिरुवनंतपुरम, 11 अप्रैल मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष के कथित ‘दुरुपयोग’ मामले की सुनवाई कर रहे केरल लोकायुक्त ने मंगलवार को शिकायतकर्ता की आलोचना करते हुए कहा कि वह संस्था को ‘‘बदनाम’’ कर रहे हैं।
इस मामले में केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों पर आरोप लगाए गए हैं।
लोकायुक्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. जोसेफ और न्यायमूर्ति हारुन-उल-राशिद ने मंगलवार को पुनर्विचार याचिका पर विचार करते हुए शिकायतकर्ता को फटकार लगाई, जिन्होंने कथित तौर पर टेलीविजन बहसों में दावा किया था कि मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार-रोधी संस्था को प्रभावित किया।
लोकायुक्त ने जनवरी, 2019 में शिकायतकर्ता आर. एस. शशि कुमार द्वारा दायर उस शिकायत को स्वीकार किया था, जिसमें मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (सीएमडीआरएफ) के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।
शिकायत में आरोप लगाया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता दिवंगत उझावूर विजयन, माकपा के पूर्व विधायक दिवंगत के.के. रामचंद्रन नायर और सत्तारूढ़ माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन के सुरक्षा घेरे में तैनाती के दौरान एक दुर्घटना में मारे गए पुलिस अधिकारी प्रवीण के परिवार को कोष से वित्तीय सहायता मंजूर करने में ‘‘पक्षपात’’ किया गया।
शिकायतकर्ता ने कोष के दुरुपयोग के लिए मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को अयोग्य करार दिए जाने की मांग की थी।
लोकायुक्त ने 31 मार्च को सीएमडीआरएफ के कथित दुरुपयोग मामले पर खंडित फैसला सुनाया था और मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था।
इस मामले की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता सदस्यों की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहा है।
पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता को पीठ पर विश्वास नहीं है, लेकिन फिर भी उसने पुनर्विचार याचिका के साथ अनुरोध किया।
पीठ पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगी।
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