नयी दिल्ली, 27 अप्रैल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में उनकी ‘‘अवैध गिरफ्तारी’’ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तथा संघवाद पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर अभूतपूर्व हमला है.मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल ने जवाब दाखिल किया है. केजरीवाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जब आदर्श आचार संहिता लागू है, तब उनकी गिरफ्तारी का तरीका और समय एजेंसी की ‘मनमानी’ के बारे में बहुत कुछ बताता है.
केजरीवाल ने दावा किया कि यह एक ‘‘सटीक मामला’’ है कि कैसे केंद्र ने आम आदमी पार्टी (आप) और उसके नेताओं को ‘‘कुचलने’’ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इसकी व्यापक शक्तियों का दुरुपयोग किया है.केजरीवाल के जवाब में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तथा संघवाद पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर एक अभूतपूर्व हमला है, जो दोनों संविधान के मूल ढांचे के महत्वपूर्ण घटक हैं.’’
इसमें कहा गया कि आम चुनाव की घोषणा होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने के पांच दिन बाद ईडी ने एक मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय स्तर के विपक्षी दलों में से एक के राष्ट्रीय संयोजक को अवैध रूप से गिरफ्तार कर लिया.केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा है, ‘‘चुनाव के दौरान जब राजनीतिक गतिविधि अपने उच्चतम स्तर पर होती है, याचिकाकर्ता की अवैध गिरफ्तारी से याचिकाकर्ता के राजनीतिक दल के बारे में गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हो गया है और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को मौजूदा चुनावों में अन्यायपूर्ण बढ़त मिलेगी.’’
केजरीवाल ने कहा, ‘‘मौजूदा मामला इस बात का एक सटीक प्रकरण है कि कैसे सत्तारूढ़ पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अपने सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी -आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को कुचलने के लिए केंद्रीय एजेंसी-प्रवर्तन निदेशालय और पीएमएलए के तहत उसकी व्यापक शक्तियों का दुरुपयोग किया है.’’मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी अवैध गिरफ्तारी से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए समान अवसर मुहैया कराने से स्पष्ट रूप से समझौता हुआ है.
इसमें कहा गया है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी का पूरा आधार कुछ बयानों पर आधारित है जो कथित सहयोगियों द्वारा ‘‘कबूलनामे’’ की प्रकृति में हैं, जिन्हें माफी के माध्यम से छूट दी गई है.
उन्होंने सवाल किया कि क्या इस तरह के बयान अपराध के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए सबूत हो सकते हैं कि आम चुनावों के बीच एक मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक दल के राष्ट्रीय संयोजक की गिरफ्तारी को उचित ठहराया जाए.इसमें दावा किया गया कि जांच करने में ईडी का दुर्भावनापूर्ण इरादा सह-आरोपी व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों को जानबूझकर छिपाने से स्पष्ट है, जहां या तो कोई आरोप नहीं लगाया गया था या आरोपों को स्पष्ट रूप से नकार दिया गया था.
केजरीवाल ने यह भी कहा कि ईडी द्वारा यह दावा करने के लिए कोई जुड़ाव स्थापित नहीं किया गया कि साउथ ग्रुप द्वारा 45 करोड़ रुपये की राशि अग्रिम रिश्वत के रूप में स्थानांतरित की गई थी, जिसका इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव में किया था.जवाब में कहा गया कि आप के पास एक भी रुपया नहीं आया और इस संबंध में लगाए गए आरोप के पक्ष में कोई ठोस सबूत नहीं है.
केजरीवाल ने कहा कि ईडी ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि उनकी गिरफ्तारी की एक वजह यह थी कि वह नौ बार तलब किए जाने के बावजूद जांच अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं हुए थे.
केजरीवाल ने कहा कि ईडी ने अपने जवाब में कहा है कि ऐसे मामले में जांच अधिकारी का यह राय बनाना उचित था कि हिरासत में पूछताछ से आरोपी से ठोस पूछताछ हो पाएगी.उन्होंने कहा, ‘‘जवाब के आशय, पाठ और सामग्री से कोई संदेह नहीं रह जाता है कि ईडी ने कानून की उचित प्रक्रिया का सरासर अपमान करते हुए बहुत ही मनमाने तरीके से काम किया है.’’इस सप्ताह की शुरुआत में शीर्ष अदालत में दाखिल अपने जवाबी हलफनामे में ईडी ने दावा किया कि केजरीवाल आबकारी नीति घोटाले के ‘‘सरगना और मुख्य साजिशकर्ता’’ हैं और सबूत के आधार पर अपराध के लिए किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा का उल्लंघन नहीं करती है.
ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें संघीय धन शोधन रोधी एजेंसी द्वारा दंडात्मक कार्रवाई से राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया था. वह फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं.शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को ईडी को नोटिस जारी किया और केजरीवाल की याचिका पर उससे जवाब मांगा.शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, केजरीवाल की याचिका पर 29 अप्रैल को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई होने वाली है.
उच्च न्यायालय ने नौ अप्रैल को धन शोधन मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं है और बार-बार समन जारी करने और जांच में शामिल होने से मना करने के बाद ईडी के पास और विकल्प नहीं बचा था.यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से संबंधित है। इस नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था.
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