नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर दिल्ली उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) एवं दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को नगर निगम के मृतक सफाई कर्मचारी की पत्नी और बेटी को 4.8 लाख रुपये की दावा राशि देने का का निर्देश दिया है।
फोरम ने इसके साथ ही उन्हें हुई पीड़ा, उत्पीड़न और मानसिक कष्ट के लिए 40,000 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।
एलआईसी की इस दलील को खारिज करते हुए कि पॉलिसी समाप्त हो गई थी, फोरम ने यह भी कहा कि वेतन से प्रीमियम राशि काटने और फिर उसे बीमाकर्ता को भेजने का अनुबंध एमसीडी और एलआईसी के बीच था और कर्मचारी को उक्त राशि की कटौती न होने के बारे में जानकारी नहीं थी।
फोरम के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल थे। मृतक सफाई कर्मचारी की पत्नी और बेटी की ओर से दायर शिकायत पर फोरम सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने उनके दावों को खारिज करने के लिए एलआईसी पर सेवा में कमी का आरोप लगाया था।
अपने समक्ष प्रस्तुत साक्ष्यों पर गौर करते हुए फोरम ने कहा, "किसी भी दस्तावेज से यह पता नहीं चलता कि मृत बीमित व्यक्ति (डीएलए या कर्मचारी) को पॉलिसी के समाप्त होने के बारे में सूचित किया गया था या उसे प्रीमियम राशि का भुगतान न किए जाने के बारे में जानकारी थी और यह एलआईसी की जिम्मेदारी थी कि वह बीमित व्यक्ति को ऐसी गैर-जमा राशि के परिणाम के बारे में सूचित करता। लेकिन न तो एलआईसी ने और न ही एमसीडी ने उसे किसी भी समय उचित जानकारी प्रदान की।"
इसने कहा कि यदि प्रीमियम का भुगतान न करने का तथ्य कर्मचारी के ध्यान में लाया जाता तो वह यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकता था कि पॉलिसी समाप्त न हो।
इसमें कहा गया है कि चूंकि दोनों पक्ष प्रीमियम न मिलने के परिणामों के बारे में कर्मचारी को सूचित करने में 'अपना कर्तव्य निभाने में विफल' रहे, इसलिए उसे या उसके परिवार को चूक के लिए कष्ट नहीं उठाना चाहिए।
आयोग ने कहा, "तदनुसार शिकायत स्वीकार की जाती है। एलआईसी और एमसीडी को संयुक्त रूप से और अलग-अलग दावा की गई राशि (पत्नी को 1.6 लाख रुपये और बेटी को 3.2 लाख रुपये) का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है।"
इसने एलआईसी और एमसीडी को "उनकी पीड़ा, उत्पीड़न और मानसिक कष्ट के लिए मुआवजे के रूप में" 40,000 रुपये और मुकदमे के खर्च के रूप में 20,000 रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।
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