नयी दिल्ली, 29 अगस्त : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने एक ऐसे आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया जो कथित तौर पर फर्जी भारतीय मुद्रा नोटों की छपाई और उसके वितरण करनेवाले एक गिरोह का हिस्सा था. अदालत ने कहा कि यह न केवल अर्थव्यवस्था को पंगु बनाता है बल्कि मादक पदार्थ तस्करी और आतंकवादी संगठनों के वित्तपोषण जैसी समस्या को भी पैदा करता है. न्यायमूर्ति सब्रह्मण्यम प्रसाद ने कहा कि नकली नोटों के चलन में होने की वजह से देश की वित्तीय स्थिति पर विपरित प्रभाव पड़ा और नकली नोटों का छपना इस स्तर तक पहुंच गया कि ‘इसमें खामी नहीं रह गई’ और ‘इन्हें असली नोट से अलग करना बेहद मुश्किल हो गया और ये बेहद फायदे वाला कारोबार बन गया.’
उन्होंने कहा, ‘‘नकली नोटों का बाजार में चलन अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक है और यह देश के वित्तीय विनियमन को बाधित करता है.’’ मौजूदा मामले में अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता-आरोपी पुलिस को ‘मिली गुप्त जानकारी’ के बाद पकड़ा गया था. पुलिस को सूचना मिली थी कि दुबई में रहनेवाला पाकिस्तानी नागरिक देश में नकली भारतीय नोट लाने का प्रयास कर रहा है. यह भी पढ़ें : राकेश टिकैत ने मोदी सरकार पर बोला हमला, कहा- Kisan Credit Card एक दिन किसान की मौत का कार्ड बनेगा
याचिकाकर्ता को एक छापेमारी में नकली भारतीय नोटों के साथ गिरफ्तार किया गया था, जिसकी कीमत 44,000 रुपये थी. वहीं फर्जी नोट की छपाई और वितरण से जुड़े एक गिरोह का भी पर्दाफ़ाश हुआ था. अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी.