नयी दिल्ली, एक नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के पूर्वी हिस्से में वर्ष 2015 में दो लोगों पर हमले के एक आरोपी को बरी करते हुए कहा कि उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि घायल ने हमलावर के तौर पर उसकी पहचान नहीं की।
आपराधिक मामले की शुरुआती सुनवाई के दौरान ही अदालत ने कहा कि बिना किसी आशंका के अपराधी की पहचान स्थापित की जानी चाहिए और अभियोजन का पहला कर्तव्य अपराध को साबित करना नहीं बल्कि अपराधी की पहचान स्थापित करना है।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दीपक जगोत्रा कुणाल नामक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज गैर इरादतन हत्या की कोशिश के मामले की सुनवाई कर रहे थे। कुणाल पर आरोप था कि उसने नौ मई 2015 में कल्याणपुरी इलाके स्थित मंदिर में लाठी-डंडे से शिकायतकर्ता दर्शन और अन्य पर हमला किया।
हालिया फैसले में अदालत ने कहा,‘‘ मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर संपूर्णता से विचार करने पर अभियोजन का मामला धराशायी हो जाता है और आरोपी बरी होने के लायक है।’’
अदालत ने रेखांकित किया कि दोनों घायलों ने अभियोजन की ओर से प्रस्तुत जानकारी की पुष्टि नहीं की और बाद में पूछताछ के दौरान गवाही से मुकर गए।
अदालत में पूछताछ के दौरान शिकायतकर्ता और अन्य ने यह पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि आरोपी ने उनपर हमला किया था।
गौरतलब है कि कल्याणपुरी पुलिस थाने ने इस मामले में कुणाल के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था और अदालत ने दिसंबर 2021 में उसके खिलाफ आरोप तय किया था।
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