नयी दिल्ली, 10 जनवरी कर्मचारियों से हफ्ते के सातों दिन (90 घंटा कार्य सप्ताह) काम कराने के बारे में ‘एल एंड टी’ के चेयरमैन एस. एन. सुब्रह्मण्यन की टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर जारी बहस में अब हिंदी फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी शामिल हो गई हैं।
अभिनेत्री ने कहा कि कंपनियों में शीर्ष पदों पर बैठे लोगों की ओर से इस तरह के बयान आना चौंकाने वाला है।
सुब्रह्मण्यन ने कहा था कि वह चाहते हैं कि कर्मचारी रविवार को भी काम करें।
सोशल मीडिया पर प्रसारित एक पुराने वीडियो में सुब्रह्मण्यन को यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक घूर सकते हैं?’’
वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘मुझे खेद है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं। अगर मैं आपसे रविवार को काम करवा सकूं तो मुझे ज्यादा खुशी होगी, क्योंकि मैं रविवार को भी काम करता हूं।’’
पादुकोण ने अपने इंस्टाग्राम स्टोरीज पर ‘एल एंड टी’ प्रमुख के बयान के बारे में एक पोस्ट साझा करते हुए कहा, ‘‘ऐसे उच्च पदों पर बैठे लोगों को इस तरह के बयान देते देखना चौंकाने वाला है।’’
सुब्रह्मण्यन की टिप्पणियों की सोशल मीडिया पर आलोचना हुई तथा कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि उच्च वेतन वाले सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) जिनके काम की प्रकृत्ति और कार्य का दबाव अलग होता है, वे कम वेतन वाले कर्मचारियों से समान स्तर की प्रतिबद्धता की अपेक्षा क्यों करते हैं।
इसके तुरंत बाद, ‘एल एंड टी’ ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि चेयरमैन की टिप्पणी राष्ट्र के लिए असाधारण परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक असाधारण प्रयासों के संदर्भ में थी।
कंपनी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह भारत का दशक है, ऐसा समय जो प्रगति को आगे बढ़ाने तथा विकसित राष्ट्र बनने के हमारे साझा दृष्टिकोण को साकार करने के लिए सामूहिक समर्पण और प्रयास की मांग करता है।’’
‘एल एंड टी’ के प्रवक्ता ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘चेयरमैन की टिप्पणी इस बड़ी महत्वाकांक्षा को प्रतिबिंबित करती है तथा असाधारण प्रयास पर जोर देती है।’’
पादुकोण मानसिक स्वास्थ्य की वकालत करती रही हैं और गैर-लाभकारी संगठन ‘द लिव लव लाफ फाउंडेशन’ की संस्थापक हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर कंपनी का बयान पोस्ट किया और लिखा, ‘‘ उन्होंने इसे और बदतर बना दिया...।’’
सुब्रह्मण्यन की टिप्पणियों ने एक बार फिर कार्य-जीवन संतुलन पर बहस को छेड़ दिया है, जो सबसे पहले इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के 70 घंटे के कार्य सप्ताह के सुझाव से शुरू हुई थी।
पिछले साल मूर्ति ने कहा था, ‘‘भारत की कार्य उत्पादकता विश्व में सबसे कम है... मेरा अनुरोध है कि हमारे युवाओं को कहना चाहिए, ‘‘यह मेरा देश है, मैं सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहता हूं।’’
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