उष्णकटिबंधीय चक्रवात अब अफ्रीका के पूर्वी तट पर पहुंच गया है। राहत सहायता एजेंसियों ने उत्तरी मोजाम्बिक में ज्यादा जान-माल की हानि और गंभीर क्षति की आशंका जताई है।
फ्रांस के गृह मंत्रालय ने कहा कि मायोट में घायलों की सटीक संख्या ज्ञात नहीं है लेकिन मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। मायोट के एक अस्पताल ने बताया कि वहां भर्ती नौ लोगों की हालत गंभीर है और 246 अन्य घायल हैं।
चक्रवात दक्षिण-पूर्वी हिंद महासागर से होकर गुजरा, जिसका असर कोमोरोस और मेडागास्कर पर भी पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि मायोट सीधे चक्रवात के रास्ते में पड़ा और शनिवार को उसे भारी नुकसान हुआ। मायोट के प्रीफेक्ट (शीर्ष अधिकारी) ने कहा कि यह 90 सालों में मायोट में आया सबसे भीषण चक्रवात था।
फ्रांस के गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलो ने पेरिस में एक आपातकालीन बैठक के बाद कहा कि ऐसी आशंका है कि मायोट में मृतकों की संख्या ‘‘अधिक होगी।’’
फ्रांस के प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने कहा कि मायोट में मुख्य अस्पताल और हवाई अड्डा समेत सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को गंभीर नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले कई लोगों को बहुत गंभीर खतरों का सामना करना पड़ा है।
फ्रांसीसी मौसम सेवा के अनुसार, ‘चिडो’ के कारण 220 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से हवाएं चलीं, जिससे मायोट में कई मकानों को नुकसान पहुंचा है। अफ्रीका के पूर्वी तट से लगभग 800 किलोमीटर दूर दो मुख्य द्वीपों में फैली मायोट की आबादी 3,00,000 से अधिक है।
कुछ जगह तो पूरा इलाका ही तबाह हो गया। स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई पेड़ उखड़ गए और नावें पलट गईं या डूब गईं।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि वह स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। वहीं, पोप फ्रांसिस ने रविवार को फ्रांस के भूमध्यसागरीय द्वीप कोर्सिका की यात्रा के दौरान चक्रवात के पीड़ितों के लिए प्रार्थना की।
‘चिडो’ अफ्रीकी मुख्य भूभाग मोजाम्बिक में पहुंच चुका है, जहां आपातकालीन अधिकारियों ने आशंका जताई है कि दो उत्तरी प्रांतों में 25 लाख लोग प्रभावित हो सकते हैं। मलावी और जिम्बाब्वे भी चक्रवात के मद्देनजर तैयारी कर रहे हैं। दोनों देशों में अधिकारियों ने कहा कि उन्हें निचले इलाकों से लोगों को निकालना पड़ सकता है।
हाल के वर्षों में दक्षिण-पूर्वी हिंद महासागर में कई शक्तिशाली चक्रवात आए हैं। वर्ष 2019 में चक्रवात ‘ईदाई’ के कारण मोजाम्बिक, मलावी और जिम्बाब्वे में 1,300 से अधिक लोग मारे गए थे।
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