अहमदाबाद, 17 जनवरी. उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अदालतों को ‘‘शासन प्रणाली की संस्थाओं’’ के तौर पर सार्वजनिक जांच पड़ताल तथा आलोचनाओं को स्वीकार करना चाहिए. अहमदाबाद में आयोजित व्याख्यान को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए शनिवार को साल्वे ने कहा कि न्यायाधीशों, न्यायिक मर्यादाओं और कार्यप्रणाली के तरीकों की आलोचना से अदालत नाराज नहीं होतीं और जिस लहजे में इस तरह की आलोचनाएं की जाती हैं वह हल्के फुल्के अंदाज में होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने यह स्वीकार कर लिया है कि न्यायाधीश, या कहें अदालतें और खासकर संवैधानिक अदालतें शासन प्रणाली की संस्थाएं बन गई हैं और इस नाते उन्हें सार्वजनिक जांच पड़ताल तथा सार्वजनिक आलोचनाओं को स्वीकार करना चाहिए. यह भी पढ़ें-Rajasthan Political Crisis: राजस्थान हाई कोर्ट में पायलट गुट की तरफ से हरीश साल्वे बोले-विधानसभा अध्यक्ष का नोटिस वैध नहीं, इसे तुरंत करें रद्द
साल्वे ने कहा, ‘‘हमने यह हमेशा माना है कि अदालतों के फैसलों की आलोचना की जा सकती है, ऐसी में की गई आलोचना भी जो विनम्र न हो। अत: फैसलों की निंदा हो सकती है। क्या हम निर्णय निर्धारण की प्रक्रिया की निंदा कर सकते हैं? क्यों नहीं?’’.