अहमदाबाद, दो जनवरी गुजरात उच्च न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की है कि दस्तावेजों को देखने के बाद वह शवों को कब्र से निकालने के मामले में 2006 में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की ‘इच्छुक नहीं’ है।
सीतलवाड पर आरोप है कि उन्होंने 2002 में गोधरा दंगों के पीड़ितों की कब्र खुदवाई थी।
न्यायमूर्ति संदीप भट्ट की अदालत में सोमवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया तब उन्होंने सीतलवाड के वकील से कहा, ‘‘दस्तावेजों पर गौर करने के बाद मैं (राहत देने को) इच्छुक नहीं हूं।
सीतलवाड के वकील ने कहा कि यह अदालत का विशेषाधिकार है लेकिन वह अपने मुवक्किल को समझाने की कोशिश करेंगे क्योंकि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। उन्होंने कहा, ‘‘ अंतत:, यह (मेरे मुवक्किल के) राजनीतिक उत्पीड़न का मामला है।’’
सरकारी वकील द्वारा यह कहे जाने के बाद कि अतिरिक्त महाधिवक्ता मितेश अमीन मामले में पेश होंगे और समय मांगा तो अदालत ने सुनवाई नौ जनवरी के लिए स्थगित कर दी।
सीतलवाड ने दिसंबर 2005 में पंचमहल जिले के पंडरवाड़ा के पास एक कथित सामूहिक कब्र से 28 शव निकालने के मामले में दर्ज प्राथमिकी में नाम आने के बाद 2017 में एक याचिका दायर की थी।
सीतलवाड पर आरोप है कि उन्होंने शवों को कब्र से निकालने की साजिश रची थी। प्राथमिकी के मुताबिक उन्होंने उनके गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ के पूर्व समन्वयक रईस खान सहित अन्य आरोपियों के उनके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 164 के तहत एक बयान दिये जाने के बाद यह साजिश रची थी।
गुजरात पुलिस ने झूठा सबूत गढ़ने, कब्रगाह में घुसपैठ करने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
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