मुंबई, 26 नवंबर महाराष्ट्र के मुंबई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्था (आईआईटी-बंबई) के एक छात्र को साइबर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर उससे 7.29 लाख रुपये ठग लिए।
अधिकारियों ने बताया कि एक जालसाज ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का कर्मचारी बताकर उसे 'डिजिटल अरेस्ट' के नाम पर धमकाकर पैसे देने के लिए मजबूर किया।
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर धोखाधड़ी का एक नया और बढ़ता हुआ रूप है जिसमें जालसाज खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी या सरकारी एजेंसियों के कर्मचारी बताते हैं और ऑडियो/वीडियो कॉल के जरिए पीड़ितों को डराते हैं। वे पीड़ितों पर पैसे देने के लिए दबाव डालते हैं।
मुंबई के पवई थाने के एक अधिकारी ने बताया, “25 वर्षीय पीड़ित को इस साल जुलाई में एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई का कर्मचारी बताया और कहा कि उसके मोबाइल नंबर पर अवैध गतिविधियों की 17 शिकायतें दर्ज हैं।”
उन्होंने बताया कि कॉल करने वाले ने दावा किया कि उसके नंबर को निष्क्रिय होने से बचाने के लिए पीड़ित को पुलिस से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होगा और उसने पीड़ित से कहा कि वह कॉल को साइबर अपराध शाखा को स्थानांतरित कर रहा है।
उन्होंने बताया, “इसके बाद व्हाट्सएप वीडियो कॉल में एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी की वर्दी में दिखा। उसने पीड़ित का आधार नंबर मांगा और आरोप लगाया कि वह धनशोधन में शामिल है। उसने छात्र को यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के जरिए 29,500 रुपये स्थानांतरित करने के लिए मजबूर किया।”
उन्होंने बताया कि इसके बाद आरोपी ने पीड़ित को धमकाया और दावा किया कि उसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ के तहत रखा गया है तथा किसी से भी संपर्क करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पुलिस ने बताया कि इसके बाद पीड़ित को डरा-धमका कर कुल सात लाख रुपये वसूले गए।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)