चंडीगढ़, पांच नवंबर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने ओपी जिंदल विश्वविद्यालय में एलएलएम की पढ़ाई कर रहे एक छात्र द्वारा दायर याचिका पर विश्वविद्यालय को नोटिस जारी किया है।
छात्र ने विश्वविद्यालय समिति के उस निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उसपर परीक्षा में एआई का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था।
न्यायमूर्ति जसगुरप्रीत सिंह ने नोटिस जारी किया और कौस्तुभ शक्करवार की याचिका पर विश्वविद्यालय के जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल से जवाब मांगा और सुनवाई 14 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी।
कौस्तुभ ने याचिका में विश्वविद्यालय द्वारा उसे फेल किये जाने के निर्णय को रद्द करने की अपील की थी।
याचिकाकर्ता ने विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक एवं अनुचित साधन समिति के फैसले को खारिज करने की भी अपील की है।
याचिका में शिकायतकर्ता की बात कथित तौर पर न सुनने और दस्तावेज उपलब्ध न कराने के लिए न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया।
इंजीनियर से वकील बने एलएलएम अभ्यर्थी कौस्तुभ दिल्ली उच्च न्यायालय में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के लिए कनिष्ठ स्थायी अधिवक्ता के रूप में कार्य करते हैं।
उन्होंने दलील दी कि विश्वविद्यालय ने ‘वैश्वीकरण की दुनिया में कानून एवं न्याय’ विषय में कथित ‘एआई जनित सामग्री’ के उपयोग का कोई सबूत नहीं पेश किया और उन्हें ‘फेल’ कर दिया।
कौस्तुभ 18 मई को ‘फर्स्ट टर्म’ की परीक्षा में शामिल हुए थे और उन पर इस विषय में ‘88 प्रतिशत एआई-जनित’ उत्तर लिखने का आरोप लगाया गया।
कौस्तुभ को 11 जून को ‘फेल’ कर दिया गया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)