नयी दिल्ली, 25 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने ‘बंधुआ मजदूर’ के तौर पर तस्करी के शिकार होने वाले लोगों के मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) तथा सात राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने याचिकाकर्ता सुरेंद्र माझी की आपबीती का संज्ञान लिया जिसे उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में ईंट के एक भट्ठे पर बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया गया था।
पीठ ने महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ के अलावा केंद्र सरकार एवं एनएचआरसी को नोटिस जारी किया और उनसे छह सप्ताह में जवाब मांगा।
मांझी ने अपनी याचिका में कहा कि उसे और अन्य ऐसे श्रमिकों को शाहजहांपुर में ईंट के एक भट्ठे से 28 फरवरी, 2019 को मुक्त कराया गया था। उसने कहा कि उन सभी को बिहार के गया जिले के उनके गांव से एक गैर पंजीकृत ठेकेदार द्वारा तस्करी के माध्यम से शाहजहांपुर ले जाया गया था।
इस याचिका में कहा गया है कि मांझी और उसके साथी श्रमिकों को न्यूनतम सांविधिक मजदूरी का भुगतान किए बगैर काम करने के लिए बाध्य किया गया तथा आवाजाही एवं रोजगार के उनके मौलिक अधिकारों को सीमित किया गया।
मांझी ने वकील सृष्टि अग्निहोत्री के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में यह जनहित याचिका दायर की है।
राजकुमार नेत्रपाल
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